- ठेकेदारों ने अपनी समस्याओं को लेकर प्रभारी के साथ की चर्चा,
- सुरक्षा निधि के साथ रॉयल्टी भुगतान, जीएसटी सहित अन्य समस्याएं बताईं
इंदौर। एक तरफ नगर निगम (municipal corporation) में 150 करोड़ (150 crores) का भुगतान बोगस फर्में (bogus firms) और फर्जी बिल (fake bill) लगाकर ठेकेदारों (Contractors) ने हासिल कर लिया, जिसकी शासन और पुलिस (Government and police) के साथ-साथ निगम द्वारा खुद जांच की जा रही है। वहीं दूसरी तरफ 600 करोड़ रुपए से ज्यादा के असल बिलों का भुगतान अटका पड़ा है, क्योंकि निगम खजाने में पर्याप्त राशि ही नहीं है। ई- नगर पालिका पोर्टल ठप होने के चलते समाप्त हुए वित्त वर्ष में ही लगभग 250 करोड़ रुपए का नुकसान निगम को अपनी आय में ही हुआ है।
शहर में चल रहे कई विकास कार्य इसलिए आधे-अधूरे पड़े हैं क्योंकि निगम ठेकेदारों को भुगतान नहीं कर पा रहा है। यहां तक कि उसके सबसे भरोसे के ठेकेदार पप्पू भाटिया ने ही कुछ समय पूर्व करोड़ों रुपए का भुगतान लम्बित होने के चलते आत्महत्या कर ली थी। वहीं दूसरी तरफ ठेकेदारों के एक गिरोह ने निगम ने इंजीनियरों, ऑडिटरों और कर्मचारियों की गैंग बनाकर सुनियोजित तरीके सेफर्जी फाइलें तैयार कर करोड़ों रुपए का भुगतान बिना कोई काम किए ही हासिल कर लिया, जिसका रोजाना खुलासा अग्रिबाण द्वारा भी किया जा रहा है। दूसरी तरफ निगम के अधिकांश ठेकेदारों को भुगतान नहीं हो पा रहा है। लिहाजा कल उनकी समस्याओं के समाधान हेतु एक समिति गठित की गई और बैठक की अध्यक्षता प्रभारी लोक निर्माण एवं उद्यान राजेन्द्र राठौर ने की। उनके साथ एमआईसी सदस्य अभिषेक शर्मा बबलू मौजूद रहे। जीएसटी, रॉयल्टी, एसडीएफडी की वापसी सहित अन्य समस्याओं के निराकरण का आश्वासन कमेटी ने ठेकेदारों को दिया।