नई दिल्ली (New Delhi)। वैदिक ज्योतिष (Vedic Astrology) में शनि देव को न्याय का देवता और कर्मफल दाता (giver of karma) कहा गया है। सभी नौ ग्रहों में शनिदेव (Shani Dev) की गति सबसे धीमी है। वह अपनी दशा, महादशा, साढे़साती या ढैय्या के जरिए इंसान को उनको कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं।
मेष – शनि देव मेष राशि के कुंडली के ग्यारहवें घर में अस्त हुए हैं. इसका असर इस राशि के जातकों के करियर, शिक्षा पर पड़ेगा. इन क्षेत्रों में इस राशि के लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. किसी भी जगह पैसा निवेश करने जा रहे हैं तो सावधान रहें और शनि के उदय होने का इंतजार करें।
वृषभ – शनि के अस्त होने से वृषभ राशि के जातकों के लिए आर्थिक समस्याएं पैदा होंगी। माता-पिता का स्वास्थ्य को खराब होने की आशंका है। इस दौरान जो भी कार्य मेहतन से करेंगे, उसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा1
मिथुन – शनि देव मिथुन राशि के स्वामी माने जाते हैं। वह इस राशि के जातकों की कुंडली में नवें घर में अस्त हुए हैं। इस दौरान किस्मत का साथ नहीं मिलेगा। दुर्भाग्य का सामना करना पड़ेगा. अशुभ समाचारों की प्राप्ति हो सकती है। किसी भी तरह की बीमारी को नजरअंदाज न करें।
(यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। अग्निबाण इसकी पुष्टि नहीं करता है)
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