एक साल में 50 प्रतिशत केस बढ़े, लग रहे नंबर के चश्मे
इंदौर। लगभग एक साल से स्कूल व कॉलेज के छात्र ऑनलाइन पढ़ाई (Online studies) कर रहे हैं। कुछ बच्चे लैपटॉप (Laptop) तो कुछ मोबाइल (Mobile) पर प्रतिदिन 3 से 6 घंटे तक स्क्रीन शेयर (Screen share) कर रहे हैं। ऐसे में खासकर छोटे बच्चों में आंखों की समस्या की 50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। कई बच्चों को नजर के चश्मे ( Eye glasses) लगाने पड़ रहे हैं। जिनके पहले से थे उनके नंबर बढ़ गए है। लगातार स्क्रीन शेयर करने से ड्राई आई, लगातार सीटिंग से पोश्चर बिगडऩा, नेक मसल्स में परेशानी, भेंगापन, लगातार आंखों से पानी आना व मानसिक तनाव (Mental stress) जैसी परेशानियां देखी जा रही हैं। कुछ बच्चों में मायोपियो जैसी समस्या भी आ रही है।
पिछले एक साल से बच्चों का खेल-कूद (Sports), फिजिकल एक्टिविटी लगभग बंद हो चुकी है। बच्चे स्कूल (School) में जाते थे तो कई तरह की एक्टिविटी करते थे। दोस्तों से मिलते, घूमते-फिरते, स्कूल की सभी गतिविधियों में भाग लेते थे। लेकिन पिछला सीजन पूरी तरह ऑनलाइन गुजरा तो इस साल भी यही हाल दिखाई दे रहा है। इससे बच्चों का मेंटल डेवलपमेंट रुक गया है। बच्चे एक ही कमरे में अकेले बैठे पढ़ते रहते हैं। उनका ध्यान न भटके इसके लिए उनसे कोई संपर्क नहीं करता। ऐसे में बच्चों पर काफी गहरा मानसिक दबाव देखा जा रहा है।
रेडिएशन कर रहा आंखें कमजोर
लगातार घंटों तक आंखों के नजदीक मोबाइल, लैपटॉप या डेस्कटॉप की स्क्रीन रहती है, जिससे स्क्रीन का रेडिएशन (Radiation) सीधा आंखों पर पड़ता है। यह रेडिएशन बच्चों की कोमल आंखों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है। स्क्रीन शेयर करते वक्त बच्चे पलकें नहीं झपकाते हैं, यह भी एक बीमारी का कारण बन रहा है। आमतौर पर एक मिनट में व्यक्ति 16 से 18 बार पलकें झपकाता है, लेकिन स्क्रीन देखते वक्त यह 5 से 8 बार ही करता है, जिससे आंखों में पानी की कमी हो रही है।
बच्चों को लेकर रोज आ रहे पैरेंट्स
हमारे पास प्रतिदिन पैरेंट्स (Parents) आ रहे हैं, जिनके बच्चों को दूर की चीजें साफ नहीं दिखने, लगातार सिरदर्द होने, आंखों का पानी सूखने, आंखों में दर्द की शिकायतें आ रही हैं। पिछले एक साल में बच्चों के केसेस में 50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। कई बच्चों की आंखों के चश्मे के नंबर इतने ज्यादा बढ़ रहे हैं कि उन्हें हमेशा चश्मा पहनकर ही रखना पड़ेगा।
– डॉ. भाग्येश पोरे , वरिष्ठ आई स्पेशलिस्ट
डाक्टरों के अनुसार…इन बातों का रखें ख्याल
– स्क्रीन देखते वक्त लगातार पलकें झपकाने को कहा जाए। कम से कम 16 से 18 बार।
– सीटिंग हेबिट में सुधार किया जाए। बैठते वक्त पीछे कुशन का सपोर्ट होना जरूरी।
– स्क्रीन आंखों से 60 डिग्री नीचे रहना चाहिए, जिससे आंखों पर जोर नहीं पड़ता।
– स्क्रीन को लगातार देखते रहने के दौरान ब्रेक लेना जरूरी।
– बच्चों को कम से कम आठ घंटे की नींद लेना जरूरी।
– विटामिन ए (गाजर, पपीता, पालक) का सेवन।
– लगातार पानी पीना चाहिए। छोटे बच्चों को प्रतिदिन 3 से 4 लीटर व बड़े बच्चों को 5 से 7 लीटर।
– स्क्रीन देखते वक्त लाइट सिर के पीछे से आना चाहिए।
– एसी, कूलर या पंखे के ठीक सामने नहीं बैठना चाहिए। इससे आंखों का पानी जल्द सूखता है।
– आंखों में नजर की कमी, थकान होना, उल्टी जैसे होने पर आई स्पेशलिस्ट को दिखाना चाहिए।
– स्क्रीन टाइम सीमित किया जाए।
– ऑनलाइन स्टडी (Online studies) चल रही है तो हर 20 मिनट के बाद 20 सेकंड के लिए आंखों को आराम दें।
– डॉक्टर के बताए अनुसार आंखों को घुमाने आदि जैसी एक्सरसाइज करते रहें।
– स्क्रीन का इस्तेमाल करते वक्त उससे जितना हो सके उतना दूर बैठें।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved