इन्दौर। प्राधिकरण को शासन ने कुछ समय पूर्व 225 एकड़ जमीन सौंपी थी, मगर उस पर वन विभाग ने अपना स्वामित्व जता रखा है। बीते कई समय से शासन के पास यह मामला लंबित है और अब सूत्रों के मुताबिक वन विभाग के चंगुल से यह जमीन छूटकर प्राधिकरण को मिल जाएगी, ताकि इस पर घोषित योजना 172 पर अमल किया जा सके और 10 हजार की बैठक क्षमता वाले कन्वेंशन सेंटर प्रोजेक्ट पर भी प्राधिकरण काम कर सके, जो अभी फाइलों में ही उलझा पड़ा है।
सुपर कॉरिडोर पर प्राधिकरण ने टीसीएस और इन्फोसिस को 230 एकड़ जमीन आवंटित की थी। इन दोनों प्रमुख आईटी कंपनियों को शासन ने जो जमीनें ओने-पोने दामों पर आवंटित की, उसके एवज में प्राधिकरण को राशि नहीं दी और बाद में छोटा बांगड़दा और नैनोद स्थित 225 एकड़ जमीन का आवंटन राजस्व विभाग के जरिए करवा दिया, ताकि प्राधिकरण की क्षतिपूर्ति हो सके। हालांकि बाद में शासन ने टीसीएस और इन्फोसिस से भी कुछ जमीनें वापस ले ली, क्योंकि दावे के मुताबिक इन दोनों आईटी कंपनियों ने इतना रोजगार उपलब्ध नहींकराया, दूसरी तरफ प्राधिकरण ने शासन से जो 225 ए$कड़ जमीन मिली, उस पर योजना 172 घोषित कर दी और उसी जमीन पर 10 हजार की बैठक क्षमता वाले कन्वेंशन सेंटर की प्लानिंग भी कर ली,
मगर इस जमीन पर वन विभाग ने अपना स्वामित्व बताते हुए प्राधिकरण को एनओसी नहीं दी। इसके चलते शासन स्तर पर ही यह विवाद चलता रहा और इस बारे में नगरीय प्रशासन और विकास मंत्रालय के साथ वन विभाग के आला अधिकारियों की कई बैठकें भी हुईं, इसमें प्राधिकरण की ओर से कहा गया कि जिस जमीन पर वन वभाग अपना स्वामित्व बता रहा है, उसके बारे में प्रशासन भी यह स्पष्ट आदेश दे चुका है कि उक्त जमीन राजस्व विभाग की ही है। बावजूद इसके वन विभाग सहमत नहीं हुआ और अभी तक प्राधिकरण अपने प्रोजेक्ट को अमल में इसी कारण नहीं ला सका, मगर अब शासन स्तर पर इस बात की सहमति बन रही है कि 225 एकड़ जमीन प्राधिकरण को ही सौंप दी जाए, ताकि वह अपनी योजना 172 के साथ कन्वेंशन सेंटर प्रोजेक्ट पर भी अमल कर सके।
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