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    नया ठेका समय पर न कर पाने के कारण परिवहन विभाग कर रहा आधुनिकीकरण का ढोंग

  • October 04, 2024

    • – अब नहीं मिलेंगे लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन कार्ड, ऐप या कागज से चलाना पड़ेगा काम
    • – आरटीओ में कार्ड बनाने वाली कंपनी का ठेका खत्म होने के बाद कार्ड जारी करने का सिस्टम बंद हुआ

    इंदौर। इंदौर सहित मध्यप्रदेश प्रदेश परिवहन विभाग में ड्राइविंग लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन कार्ड सप्लाय और प्रिंट करने वाली स्मार्टचीप कंपनी ने काम बंद कर दिया है। इसके कारण अब लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन कार्ड्स नहीं मिल पाएंगे। कार्ड्स के अभाव में लोगों को अपने मोबाइल में ऐप से या कार्ड के प्रिंट आउट से काम चलाना पड़ेगा। समय पर नया ठेका जारी न कर पाने वाला परिवहन विभाग अब कार्डलेस व्यवस्था को आधुनिकीकरण का नाम देकर अपनी नाकामियाबी छुपाने का ढोंग कर रहा है।

    स्मार्टचीप कंपनी का ठेका करीब एक साल पहले ही खत्म हो चुका था। तब से परिवहन विभाग कार्ड सप्लाय और प्रिंट करने के लिए नई कंपनी को ठेका देना चाहती थी। इसके लिए मुख्यालय द्वारा कई बार टेंडर भी जारी किए गए। हर बार टेंडर में कई कंपनियों ने भाग भी लिया, लेकिन छोटे-मोटे कारणों को बताकर विभाग ने खुद नए टेंडर जारी किए। इस बीच स्मार्टचीप कंपनी को ही काम जारी रखने के लिए एक्टेंशन दिया जाता रहा। इस बार कंपनी ने 1 अक्टूबर से काम करने से हाथ खड़े कर दिए और नए ठेके ना हो पाने के कारण कार्ड जारी होना पूरी तरह से बंद हो गए।


    प्रदेश में इससे हाहाकार की स्थिति बन गई। कोई नई कंपनी आई नहीं और पुरानी कंपनी अपना कामकाज समेटकर चली गई। ऐसी स्थिति में अपनी इज्जत बचाने के लिए कल परिवहन विभाग ने एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन कार्ड को ई-हस्ताक्षर से जारी करने के आदेश जारी किए। यानी अब कार्ड नहीं मिलेंगे। कार्ड को आवेदक अपने मोबाइल में एम परिवहन या डीजी लॉकर एप में डाउनलोड कर सकते हैं। जिनके पास स्मार्टफोन नहीं हैं, ऐसे लोगों को इन ई-कार्ड के कागज पर प्रिंटआउट निकालकर अपने पास रखने होंगे।

    पहले से लागू व्यवस्था को बताया जा रहा आधुनिकीकरण
    देश में पहले से ही ऑनलाइन कार्ड की व्यवस्था मौजूद है और इसे प्रभावी बनाने के लिए केंद्रीय मंत्रालय पहले ही आदेश जारी कर चुका है कि किसी भी तरह की जांच या औपचारिकता में डिजिटल कार्ड मान्य किए जाएंगे। अगर डिजिटल का कार्ड की व्यवस्था को लागू करना ही था तो पहले ही किया जा सकता था। इसके लिए नई कंपनियों को लाने के टेंडर जारी करने या स्मार्टचीप को एक्सटेंशन देने की जरूरत नहीं थी। अब जब कोई कंपनी नहीं है तो आधुनिकीकरण का ढोंग किया जा रहा है। इसमें सबसे ज्यादा फजीहत ऐसे लोगों की होगी जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है, क्योंकि कागज के टुकड़े संभालकर रखना मुश्किल होगा, वहीं जहां इंटरनेट नहीं चलेगा या फोन बंद हो गया, वहां स्मार्टफोन वाले भी खाली हाथ नजर आएंगे, साथ ही अब भी संशय बरकरार है कि दोबारा कार्ड जारी होने की व्यवस्था लागू होगी या नहीं, क्योंकि विभाग में टेंडर की प्रक्रिया अभी भी जारी है।

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