बेंगलुरु। कर्नाटक (Karnataka) की कांग्रेस सरकार (Congress Government) ने मेडीकल कॉलेजों (Medical Colleges) की प्रवेश परीक्षा, नीट में हुई धांधली (NEET controversy) की खबरों के बीच इसका विकल्प बनाना शुरू कर दिया है। सिद्दारमैया सरकार की कैबिनेट बैठक में राज्य में नीट को रद्द करने के प्रस्ताव को लाया गया जिसे बाद में कैबिनेट (cabinet) की सहमति प्राप्त हो गई। यह विधेयक नीट परीक्षा के खिलाफ है और इसके अनुसार नीट को या तो प्रदेश में होने वाली कॉमन एंट्रेंस टेस्ट(CET) से जोड़ने का प्रस्ताव है या फिर किसी और परीक्षा से इसे बदलने का प्रस्ताव है।
12वीं के अंकों के आधार पर प्रवेश देने का आग्रह इस बिल को कर्नाटक विधानसभा में जल्द ही लाया जाएगा, इसमें सरकार से आग्रह किया गया है कि सरकार 12वीं के अंकों के आधार पर मेडीकल कॉलेजों में प्रवेश की व्यवस्था को फिर से शुरू करे जो कि नीट के आने के पहले चालू थी। कर्नाटक सरकार का यह बिल ऐसे समय में आया है जब देश भर में नीट में हुई धांधली की चर्चा जोरों पर है। लोकसभा में भी विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर बनी हुई हैं।
….तो कर्नाटक में होगी अलग मेडीकल प्रवेश परीक्षा
कैबिनेट द्वारा पारित यह बिल अगर विधानसभा में पास हो जाता है, तो कर्नाटक मेडिकल कॉलेजों में यूजी और पीजी लेवल पर चयन के लिए प्रदेश सरकार की स्वयं की प्रतियोगी परीक्षा होगी। जिसे प्रदेश सरकार के माध्यम से ही आयोजित किया जाएगा। पिछले महीने डीएमके के नेतत्वृ वाली तमिलनाडु सरकार ने भी नीट के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया और राज्यों को स्वयं की मेडीकल प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की अनुमनु देने को कहा। इस प्रस्ताव का समर्थन कई क्षेत्रीय दलों द्वारा भी किया गया।
तमिलनाडु से सांसद कनिमोझी ने कहा कि तमिलनाडु लगातार यह कह रहा है कि हम नीट नहीं चाहते हैं। अब यह साबित हो गया है कि नीट निष्पक्ष नहीं है और इसके कारण छात्रों का बहुत नुकसान हो रहा है। हम राज्य में नीट नहीं चाहते हमने इसको लेकर विधानसभा से प्रस्ताव पारित किया है, जो कि अभी भी प्रेसिडेंट के पास हस्ताक्षर करने के लिए डला हुआ है।
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