इंदौर। जिला प्रशासन की सख्ती के बाद शहर के बीचोबीच से यात्री बसें संचालित करने वाले सभी ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट के ट्रेवल्स ऑपरेटर्स ने कल से शहर के बाहर से अपनी बसों का संचालन शुरू कर दिया है। सभी बस ऑपरेटर्स के पास शहर के बाहर व्यवस्था न होने से कुछ सडक़ किनारे से भी सवारियां बैठा रहे हैं, लेकिन कोई भी नायता मुंडला स्थित बस स्टैंड से बसें चलाने नहीं जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण आपसी प्रतिस्पर्धा से बचना है।
अभी सभी ट्रेवल्स कंपनियों के ऑफिस अलग-अलग जगह स्थित हैं। एक बार जो यात्री एक ट्रेवल्स पर पहुंच गया तो वो दूसरे पर जाने की कम ही सोचता है। वहीं अगर सभी ट्रेवल ऑपरेटर्स नायता मुंडला स्थित एक ही बस स्टैंड से बसें संचालित करना शुरू कर देते हैं तो ऐसे में यात्री उस बस में बैठना पसंद करेंगे जो पहले जा रही है या जिसमें अच्छी सीट उपलब्ध है या जिसका किराया कम है। ऐसी स्थिति में ट्रेवल्स का धंधा खराब होने का खतरा है। इसे देखते हुए कोई भी ट्रेवल्स ऑपरेटर नायता मुंडला जाने को तैयार नहीं है। बस ऑपरेटर्स का यह भी तर्क है कि नायता मुंडला काफी दूर है।
वहां तक जाना-आना यात्रियों के लिए काफी मुश्किल है। ज्यादातर लंबी दूरी की बसें रात को निकलती हैं, ऐसे में अकेली महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को भी यहां तक पहुंचना बहुत मुश्किल होगा। इस संबंध में आरटीओ प्रदीप शर्मा ने बताया कि प्रशासन की ओर से नायता मुंडला से बसें चलाने का विकल्प अब भी बस संचालकों के लिए खुला है। वे स्थायी व्यवस्था होने तक यहां से बसें चला सकते हैं। अगर वे कहीं और से बसें चला रहे हैं तो उन्हें ट्रैफिक और परिवहन से जुड़े सभी नियमों का पालन करना होगा।
रिंग रोड पर मिली सहमति
कल से हंस ट्रेवल्स सहित कुछ और बड़े ट्रेवल्स ने पूर्वी रिंग रोड से बसों का संचालन किया। बसों को शुरू करने से पहले ट्रेवल्स ऑपरेटर्स ने परिवहन विभाग और प्रशासन से अनुमति भी ली। इसे देखते हुए साफ हो गया है कि प्रशासन को रिंग रोड से बसों के संचालन से कोई दिक्कत नहीं है। हालांकि यहां भी सभी बस ऑपरेटर्स के लिए ट्रेवल्स ऑफिस बना पाना मुश्किल है और अगर यहां से सर्विस रोड पर बसों को पार्क किया जाता है तो ये रिंग रोड के बदहाल ट्रैफिक के लिए और बड़ा सिरदर्द बन सकती हैं।
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