कटनी। आषाढ़ सूखा निकलने के बाद शहरवासियों को सावन से काफी उम्मीदें हैं। सावन के पहले दिन से बारिश का इंतजार कर रहे लोगों को अभी तक निराशा ही हाथ लगी है। आषाढ़ के बाद सावन भी सूखा ही बीत रहा है। मौसम विभाग सावन में मूसलाधार बारिश की संभावना भी व्यक्त कर रहा है लेकिन बारिश है कि बरसने का नाम नहीं ले रही है।
उमसभरी गर्मी लोगों को परेशान कर रही है। पिछले एक महीने से उमसभरी गर्मी से लोग परेशान हैं। फिलहाल गर्मी से निजात मिलने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। दूसरी तरफ मतगणना की तारीख नजदीक आने से उम्मीदवारों से लेकर समर्थकों की धड़कने बढऩा शुरू हो गई है। 48 घंटे बाद बुधवार को मतगणना होनी है। मतगणना से पहले भाजपा व कांग्रेस ने तैयारी शुरू कर दी हैं।
टूटने लगी किसानों की उम्मीदें
बारिश नहीं होने से जिले के किसान चिंतित हैं। जुलाई का महीना आधा बीत गया है पर कृषि कार्य शुरू नहीं हो सका है। चारों ओर सुखे जैसी स्थिति बन गई है। ऐसे में किसानों के सामने बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है। जुलाई महीना में तपती धूप के कारण धान का रोपा भी सूख कर मर रहा है। किसान अपनी फसल को नष्ट होते देख परेशान हैं। खुले बाजार से किसानों ने उन्नत धान का बीज ऊंची कीमत पर खरीदा था परंतु बारिश ने किसानों के मंसूबे पर पानी फेर दिया है। जिले में समूचित बारिश नहीं होने के कारण कूषि कार्य पूरी तरह से ठप है। किसान हाथ पर हाथ धरे घर में बैठकर दिन काट रहे हैं। अब अगर बारिश भी हुई तो किसानों के पास रोपा नहीं होगा। बीते एक महीना से बारिश नहीं होने से मृतप्राय हो चुके धान का रोपा बचाने के लिए किसान पंपसेट से खेतों में पटवन करने में जुटे हैं। जिले के अधिकांश तालाब का जलस्तर काफी नीचे चला गया है। इससे किसानों की परेशानी और भी बढ़ गई है। कृषक रमन विश्वकर्मा ने कहा कि बड़ी उम्मीद के साथ खेतों में रोपा बोया था। बारिश नहीं होने के कारण उम्मीद पर पानी फिर गया। भगवत प्रसाद ने बताया कि खेतों में लगा रोपा सूखकर मर गया। अब रोपा को बचाना काफी मुश्किल हो गया है।
सावन में भी प्यासे हैं खेत
मानसून का डेढ़ माह का समय निकल चुका है। आषाढ़ माह में मात्र दो-चार दिन ही अच्छी बारिश हुई। सावन भी पांच दिन बीत चुका है। बारिश की स्थिति इस माह में भी अच्छी नहीं है। बारिश कमजोर होने के करण खेतों की लगी फसलें सूखने की कगार पर हैं। नदी, तालाब और नाले सूखे हैं। बारिश नहीं होने से किसानों के चहरों पर चिंता दिखाई दे रही हैं। बारिश अच्छी नहीं हुई तो पेयजल की समस्या हो सकती है। जिले में पिछले एक सप्ताह से सिर्फ बूंदाबांदी हो रही है। किसानों ने पहले दौर की बारिश में धान का रोपा तैयार कर लिया है लेकिन अब खेतों को पानी नहीं मिल पा रहा है। मोटर चलाकर फसलों को बचाने की कोशिश की जा रही है।
उमस व गर्मी से परेशान लोग
पिछले दो दिनों से गर्मी फिर तेज हो गई है। उसम भी लोगों को परेशान करने लगी है। लोग बीमार पड़ रहे हैं। मौसम विभाग की ओर से मानसून सामान्य रहने का अनुमान बताया गया था। उम्मीद थी बारिश औसत होगी लेकिन एक चौथाई ही हो पाई है। बीते साल सामान्य से 30 फीसदी कम बारिश हुई है। पूरा जिला कृषि पर ही निर्भर है। वैसे में बारिश नहीं हुई तो किसानों के साथ-साथ आम अवाम को सुखे की मार झेलनी पड़ेगी।
30 साल में कभी इतना नहीं सूखा रहा सावन
साल 2022 में मानसून से अच्छी बारिश की उम्मीद सभी को थी। बारिश के इंतजार में जून का लास्ट वीक निकल गया और अब सावन भी सूखा ही जा रहा है। शहर में कांवरियों के कदम पड़ रहे हैैं। चिलचिलाती धूप में गर्म सड़क पर कांवरियों के नंगे पैर पड़ते ही गर्मी के मारे जल जा रहे हैं तो दूसरी ओर धान की बुआई लेट हो रही और गर्मी-उमस के मारे पब्लिक का खून सूखता जा रहा है। मौसम विभाग के मुताबिक 1991 से 2020 तक जुलाई के महीने में औसतन 12 दिन बारिश हुई है लेकिन इस बार सिर्फ दो चार दिन ही अच्छी बारिश होने की वजह से कई चीजें प्रभावित हो रही है। वहीं कुछ का मानना है कि मानसून की बेरूखी से जिले व सूबे में सूखे जैसे हालात पैदा हो गए हैं। इतना ही नहीं बारिश के नहीं होने से तापमान में भी दिनों दिन इजाफा होता जा रहा है जो स्वास्थ्य और प्रकृति के लिए अच्छी बात नहीं है।
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