भोपाल। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग (Madhya Pradesh Human Rights Commission) ने मूलभूत सुविधाओं के अभाव में बालाघाट (Balaghat) जिले के एक गांव के ग्रामीणों के गांव छोड़कर जंगल में बसने पर संज्ञान लिया है। आयोग ने इस मामले में संज्ञान लेकर मुख्य सचिव, म.प्र. शासन, अपर मुख्य सचिव, म.प्र. शासन, गृह विभाग, मंत्रालय, भोपाल सहित कलेक्टर, बालाघाट (Balaghat) एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत, बालाघाट से एक माह में तथ्यात्मक जवाब मांगा है।
आयोग ने इन अधिकारियों से यह भी पूछा है कि एकीकृत कार्ययोजना (आईएपी) में बालाघाट जिले के लिये इन सभी विकास कार्यों के लिये गत पांच वर्षों में कितना बजट आवंटित हुआ और यह भी कि गत् पांच वर्षों में इस जिले में क्या-क्या विकास कार्य हुये, विशेष रूप से अखबार में प्रकाशित हुये समाचार में बताये गये गरीब परिवारों के लिये?
जानकारी के अनुसार किरनापुर विकासखंड की ग्राम पंचायत बक्कर के अधीन वन ग्राम बोदालझोला में मूलभूत समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा होने और गांव तक पहुंचने के लिये पक्की सड़क भी न होने की वजह से यहां न तो प्रशासनिक पहुंच अधिक है और न ही जनप्रतिनिधि इस गांव तक पहुंच पाते हैं। यहां के ग्रामीणों ने बताया कि समस्याओं का निराकरण नहीं होने पर वे अपने पुश्तैनी गांव को छोड़कर जंगल में निवास कर रहे हैं। वर्ष 2017 में भी उन्होंने जंगल में शरण ली थी, लेकिन वन अमले ने उन्हें वहां से भगा दिया था। इस पर वे पुनः बोदालझोला पहुंचकर निवास करने लगे थे। उन्होंने बताया कि इस गांव तक एम्बुलेंस भी नहीं पहुंचती। हैंडपंप मटमैला पानी देता है। इसलिये वे बोदालझोला गांव से विस्थापित होना चाहते हैं। इसके लिये कई बार आवेदन भी कर चुके हैं, लेकिन अभी तक समस्या जस की तस बनी हुई है। एजेंसी
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