नई दिल्ली। लगातार बढ़ रही आबादी की मांग को पूरा करने के लिए देश में 2036 तक अतिरिक्त 6.4 करोड़ मकानों की जरूरत होगी। क्रेडाई-लाइसिस फोरास ने एक रिपोर्ट में कहा, तेजी से बढ़ती भारतीय आबादी व अर्थव्यवस्था के परिणामस्वरूप मकानों की मांग और आपूर्ति में तेजी आई है। साथ ही, मकान खरीदारों की क्रय क्षमता में भी सुधार हुआ है। वे अब बड़े मकान खरीदना चाहते हैं।
क्रेडाई ने वाराणसी में आयोजित न्यू इंडिया समिट में डाटा एनालिटिक कंपनी लाइसिस फोरास के साथ मिलकर यह रिपोर्ट पेश की। संयुक्त रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2018 के दौरान कुल 2.9 करोड़ मकानों की कमी थी। कोरोना काल खत्म होने के बाद देशभर में आवासीय संपत्तियों की मांग में तेजी आई है। खास बात है कि महंगे होम लोन और आवासीय संपत्तियों की कीमतों में उछाल के बावजूद लोगों में बड़ा मकान खरीदने की धारणा सकारात्मक बनी हुई है। इन कारकों को देखते हुए देश में 2036 तक कुल 9.3 करोड़ आवासों की मांग होगी।
छोटे शहरों से तेज मांग की उम्मीद
रिपोर्ट के मुताबिक, बड़े शहरों के साथ अब टियर-2 और टियर-3 (मझोले एवं छोटे) शहरों में मकानों की मांग बढ़ती दिखाई दे रही है। इससे मझोले और छोटे शहरों में आवास निर्माण में तेजी आएगी, जिसका सकारात्मक असर रियल एस्टेट उद्योग पर देखने को मिलेगा।
रियल एस्टेट में पीई निवेश 26 फीसदी घटा
रियल एस्टेट में निजी इक्विटी (पीई) निवेश चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-दिसंबर अवधि में 26 फीसदी घटकर 2.65 अरब डॉलर रह गया। वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच विदेशी और घरेलू निवेशकों के सतर्कता से गिरावट आई है। 2022-23 की अप्रैल-दिसंबर अवधि में पीई निवेश 3.6 अरब डॉलर रहा था। एनारॉक कैपिटल की रिपोर्ट के मुताबिक, कुल पीई निवेश में 84 फीसदी इक्विटी के रूप में आया, जबकि कर्ज के रूप में था।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved