मुंबई: मुंबई क्रूज ड्रग्स केस में फंसे शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की जमानत याचिका खारिज हो गई है. मुंबई सेशन कोर्ट के जज वीवी पाटिल ने 18 पन्नों में दिए आदेश में कहा कि पहली नजर में देखने पर पता चलता है कि आर्यन खान के खिलाफ सबूत हैं. आर्यन खान को जमानत क्यों नहीं मिली? कोर्ट की इन 5 टिप्पणियों से समझते हैं…
1. कोर्ट ने कहा, ‘आर्यन और अरबाज काफी लंबे वक्त से दोस्त हैं. वो एक साथ जा रहे थे और उन्हें क्रूज पर साथ में पकड़ा गया है. दोनों ने अपने बयानों में ड्रग्स लेने की बात भी कबूली है. इन सबसे पता चलता है कि आर्यन को पता था कि अरबाज के जूतों में ड्रग्स है.’
2. आर्यन के वकीलों ने दलील दी कि उनके पास से ड्रग्स नहीं मिला है, इसलिए वो नशे में नहीं थे. इस पर कोर्ट ने कहा, ‘आरोपी नंबर-1 (आर्यन खान) के पास से भले ही कोई प्रतिबंधित पदार्थ नहीं मिला है, लेकिन आरोपी नंबर-2 (अरबाज मर्चेंट) के पास 6 ग्राम चरस मिली थी. इसलिए कहा जा सकता है कि दोनों को इस बारे में पता था.’
3. जज वीवी पाटिल ने कहा, ‘वॉट्सऐप चैट से पता चलता है कि आरोपी नंबर-1 अज्ञात व्यक्तियों के साथ ड्रग्स को लेकर बात कर रहा था. इसलिए प्रथम दृष्टया यही लगता है कि आवेदक और आरोपी नंबर-1 अज्ञात व्यक्तियों के साथ प्रतिबंधित नारकोटिक्स पदार्थ की डील करता था.’
4. उन्होंने कहा, ‘वॉट्सऐप चैट से पता चलता है कि आरोपी नंबर-1 और ड्रग पेडलर्स के बीच साठगांठ थी. आरोपी नंबर-2 के साथ भी उसके चैट हैं. इसके अलावा आरोपी नंबर-1 से 8 तक को गिरफ्तार किया गया और उनके पास कुछ मात्रा में प्रतिबंधित पदार्थ पाए गए हैं. एनसीबी को क्रूज पर रेव पार्टी की सूचना मिली थी. पूछताछ के दौरान आरोपियों ने सप्लाई करने वालों के नाम का खुलासा किया है. ये आरोपियों के किसी आपराधिक साजिश में शामिल होने की ओर इशारा करता है. प्रथम दृष्टया रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री से पता चलता है कि इस मामले में एनडीपीएस की धारा 29 लागू होती है.’
5. जज पाटिल ने पाया कि ये मामला वैसा ही है जैसा रिया चक्रवर्ती के भाई शोविक चक्रवर्ती का था. शोविक की वॉट्सऐप चैट से भी पता चला था कि वो ड्रग पैडलर्स के संपर्क में था. जज पाटिल ने कहा, ‘प्रथम दृष्टया लगता है कि आरोपी एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा है. जैसा शोविक चक्रवर्ती के मामले में था. क्योंकि आरोपी साजिश का हिस्सा है, इसलिए जो भी ड्रग्स की जब्ती हुई है, उसके लिए वो भी उत्तरदायी है. हर आरोपी के मामले को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता.’
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