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    सूखा रह गया जुलाई..31 दिन में मात्र 12 इंच बारिश

  • August 02, 2020

    उज्जैन। इस साल जिले में मानसून की स्थिति अभी तक चिंताजनक बनी हुई है। हालत यह है कि शहरी क्षेत्र में ही जुलाई महीने के 31 दिनों में मात्र 12 इंच बरसात हो पाई है। पिछले साल 60 इंच से ज्यादा पानी बरसा था। बावजूद इसके महाकाल में बारिश की कामना को लेकर पर्जन्य अनुष्ठान कराया गया था। इस समय इसकी बेहद जरूरत है, लेकिन कोई पहल नहीं की जा रही।
    उल्लेखनीय है कि उज्जैन जिले सहित पूरे मालवांचल में बारिश का औसत आंकड़ा लगभग 36 इंच माना जाता है। जानकारों के अनुसार इतनी बरसात होने पर मालवा में भूमिगत जल स्तर भी संतोषजनक हो जाता है तथा खरीफ और रबी की फसल भी ठीक ठाक होती है। इधर मालवा में मानसून की सक्रियता हर साल 20 जून के बाद मानी जाती है। इस वर्ष समय रहते प्री मानसून की बरसात हो गई थी और जून के अंत तक दो-तीन बार झमाझम पानी भी गिरा था। तब उम्मीद थी कि इस साल मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक पूरे देश में जो सामान्य बरसात होने की बात कहीं गई है वह उज्जैन जिले में तो इससे भी कम बारिश अभी तक हो पाई है। उज्जैन शहरी क्षेत्र में ही वेधशाला से प्राप्त जानकारी के मुताबिक 1 जुलाई से लेकर 31 जुलाई तक 31 दिन की अवधि में 300 मिमी अर्थात 12 इंच के करीब बरसात ही हो पाई है। इधर अगस्त के महीने के भी आज 2 दिन गुजरने को है। इन दो दिनों में सिर्फ 8 मिमी बरसात ही हुई है। इसे मिलाकर इस सीजन में आज तक उज्जैन शहरी क्षेत्र में मात्र 12.12 इंच बरसात हो पाई है। यही वजह है कि सावन महीने के आखिरी दिनों में भी शहर तथा आसपास के नदी नाले से लेकर खेत और जंगल सूखे नजर आ रहे है। बरसात का सीजन अब लगभग 40 दिन का और शेष रह गया है, क्योंकि 15 सितंबर तक मानसून लौट जाता है। ऐसे में शहर और जिले में अभी भी औसत बारिश 36 इंच का आंकड़ा छूने के लिए करीब 25 इंच बरसात की जरुरत है। लेकिन मानसून के बादल रोज छाने के बाद भी बरस नहीं रहे हैं। इन सबके बावजूद नगर में चर्चा है कि महाकालेश्वर मंदिर समिति और वहां के पंडे पुजारी हर साल अच्छी बारिश की कामना को लेकर महाकाल में 11 दिन का पर्जन्य अनुष्ठान आयोजित करते रहे हैं। इसमें 11 विद्वान ब्राह्मण सतत मंत्रोच्चार कर पर्जन्य अनुष्ठान संपूर्ण करते है। इस बार मानसून की स्थिति पिछले कई सालों के मुकाबले चिंताजनक है। बावजूद इसके इस बार मंदिर समिति और पुजारी अच्छी बारिश के लिए महाकाल में अभी तक पर्जन्य अनुष्ठान नहीं करवा पाए है। जबकि गत वर्ष रिकार्ड बारिश हुई थी और पूरे जिले में औसत बरसात से लगभग दो गुना 60 इंच से ज्याद पानी बरस गया था। इसके बाद भी लाखों खर्च कर अनुष्ठान किया गया था। इसकी मांग कुछ धार्मिक संगठन उठा चुके है। फिर भी पर्जन्य अनुष्ठान को लेकर अभी तक जवाबदारों ने कोई फैसला नहीं लिया है।

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