भोपाल। प्रदेश के संरक्षित जंगल और सामान्य जंगलों में वन्यप्राणियों का शिकार, लकड़ी चोरी और अतिक्रमण जैसी घटनाओं पर नजर रखने के लिए वन विभाग ड्रोन (Drone) खरीदेगा। इसके लिए ग्रीन इंडिया मिशन ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है।
मंत्रालय से अनुमति मिलने पर पहले चरण में प्रदेश के सभी 16 वन वृत्तों में एक-एक ड्रोन खरीदे जाएंगे। बाद में इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। वर्तमान में कुछ संरक्षित क्षेत्रों में ड्रोन (Drone) का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रदेश में मैदानी वन कर्मचारियों की संख्या कम है। ऐसे में एक बीटगार्ड (Beat guard) पर 15 से 20 वर्ग किमी जंगल की रखवाली की जिम्मेदारी है। इसके अलावा वन कर्मचारियों को दूसरे काम भी करना पड़ते हैं। जिससे नियमित गश्त नहीं हो पाती है। इसका नुकसान यह है कि जंगल की जमीन पर अतिक्रमण हो रहा है। लोग लकड़ी काटकर आरामशीनों पर बेच रहे हैं और जंगल की जमीन पर खेत तैयार किए जा रहे हैं। वन्यप्राणियों के शिकार के मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए ड्रोन से जंगलों की निगरानी की योजना बनाई गई है। क्योंकि अतिक्रमण हटाने या लकड़ी चोरी पकड़े जाने पर होने वाले विवाद की स्थिति में वर्तमान में ड्रोन की मदद ली जाती है।
पौधारोपण की स्थिति का भी पता चलेगा
वन अधिकारी बताते हैं कि हर क्षेत्र में नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। फिर जंगल में क्यों नहीं? ड्रोन से न सिर्फ जंगल की हिफाजत हो सकेगी। पौधारोपण सहित अन्य कामों (पौधों के लिए गड्ढों की खोदाई, आग से बचाव के लिए फायर लाइन काटना, अन्य निर्माण) में भी सुधार आएगा। क्योंकि ड्रोन से ऐसे कामों पर भी लगातार नजर रखी जा सकेगी।
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