- शहर में कई जगह पानी भरा-महाकाल क्षेत्र में भी कीचड़ होने से फिसलन
उज्जैन। आसमान में छा रहे घने बादलों से हर रोज लोगों को झमाझम वर्षा की उम्मीद लगी हुई है, लेकिन बादल भी जिद पर ऐसे अड़े हैं कि सिर्फ बौछारें ही गिरा रहे हैं। आसपास के जिलों में हो रही तेज वर्षा के बीच शहर में बारिश के लिए मानसून का सिस्टम ही नहीं बन पा रहा है। यही कारण है कि मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों के दौरान भी हल्की से मध्यम वर्षा की संभावना ही जताई है।
तेज वर्षा न होने के कारण लोगों को सता रही उमस की स्थिति भी बरकरार रहेगी। रविवार सुबह शहर में रिमझिम वर्षा का दौर शुरू हो गया है। मौसम विभाग के अनुसार वर्तमान में मानसून की अक्षीय रेखा राजस्थान के कोटा से गुना, सतना होते हुए बंगाल की खाड़ी तक गुजर रही है। इसके अलावा झारखंड, उत्तर पश्चिमी राजस्थान, अरब सागर में चक्रवात और जम्मू-कश्मीर में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हुआ है। मौसम विभाग के अनुसार अरब सागर के ऊपर एक नया सिस्टम सक्रिय हो गया है जिसके असर से अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नमी आ रही है। इसके असर से वर्षा की गतिविधियां में तेजी आ रही है। मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि बंगाल की खाड़ी और उसके आसपास अभी कोई प्रभावी मौसम प्रणाली सक्रिय नहीं है। मानसून द्रोणिका के भी ऊपर की तरफ खिसकने के आसार हैं। इस वजह से प्रदेश में फिलहाल मानसून की गतिविधियों में कमी आने लगेगी। हालांकि राजस्थान पर बने चक्रवात के कारण कुछ नमी मिलते रहने के कारण कहीं-कहीं बौछारें पड़ सकती हैं, लेकिन भारी वर्षा की उम्मीद फिलहाल नहीं है। 14 जुलाई को बंगाल की खाड़ी में एक चक्रवात बनने के संकेत मिले हैं। उसके प्रभाव से 15 जुलाई से प्रदेश में एक बार फिर रुक-रुककर वर्षा का दौर शुरू हो सकता है।