भोपाल। परिवहन विभाग अब धीरे-धीरे सभी काम निजी हाथों में सौंपने की तैयारी में है। जल्द ही प्रदेश में जिले व संभाग स्तर पर ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर खुलेंगे। इसके साथ ही आने वाले दिनों में पूरे प्रदेश में वाहनों की फिटनेस की जांच भी अब निजी एजेंसी के हाथों में सौंपने की तैयारी चल रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अप्रैल से वाहनों की फिटनेस जांच ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन (एटीएस) के माध्यम से कराना अनिवार्य कर दिया है। लेकिन अभी प्रदेश में यह व्यवस्था अप्रैल से शुरू नहीं हो पाएगी। इसका कारण अब तक एजेंसी का तय नहीं हो पाना है। परिवहन विभाग पहले चरण में संभाग स्तर पर एटीएस खोलने की तैयारी कर रहा है। इसके बाद जिले स्तर पर।
एटीएस के लिए 3500 वर्ग मीटर जमीन होना जरूरी
एटीएस खोलने के लिए लगभग 3500 वर्ग मीटर जमीन होना चाहिए। तभी अलग-अलग प्रकार के वाहनों की फिटनेस की जांच लेन पर हो सकेगी। परिवहन विभाग ने एटीएस नीति बनाने के लिए इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (आईकैट) को सलाहकार समिति में शामिल किया है। 500-500 वर्ग मीटर के लेन में हल्के व मध्यम स्तर के वाहनों की फिटनेस जांच होगी।
तो स्क्रैप कराना पड़ेगा वाहन
8 साल पुराने वाहनों की दो साल में एक बार फिटनेस जांच कराना अनिवार्य है। इसके साथ ही एटीएस में जांच के दौरान यदि कोई वाहन अनफिट पाया जाता है तो उसे फिटनेस सुधार के लिए एक मौका और दिया जाएगा। लगातार दो बार की जांच में भी वाहन की फिट नहीं पाया जाता तो उसे अनफिट घोषित करते हुए फिर वाहन मालिक को उक्त वाहन को स्क्रैप कराना होगा। निजी एजेंसी के माध्यम से वाहनों की फिटनेस जांच की फीस भी वाहन चालकों को अधिक चुकानी पड़ सकती है। हालांकि निर्धारण एटीएस नीति तय होने के बाद ही हो सकेगी। एटीएस नीति बनने के बाद टेंडर प्रकिया आयोजित होगी। इसके बाद मानकों को पूरा करने वाली एजेंसी को संभागस्तर पर ठेका दिया जाएगा। प्रदेश में 10 संभाग हैं। इसके बाद जिले स्तर पर ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन (एटीएस) खुलेंगे।
इनका कहना है
पहले चरण में वाहनों की फिटनेस जांच के लिए एटीएस संभाग स्तर पर खोलने की तैयारी है। अभी एटीएस नीति बनाने का काम चल रहा है। जल्द ही टेंडर प्रक्रिया आयोजित होगी।
अरविंद सक्सेना, अपर परिवहन आयुक्त (प्रवर्तन)
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