उज्जैन। आज से तीन दशक पहले उज्जैन की पहचान बेहतरीन टेक्सटाईल उत्पादक के रूप में देश विदेश में होती थी। कपड़ा मिलें बंद क्या हुई शहर का औद्योगिक स्वरूप भूतकाल में चला गया। हालांकि पिछले एक दशक में नए उद्योग के साथ-साथ रोजगार के कागजों पर कई प्लान बने। कुछ उद्योग के तो शिलान्यास पत्थर भी लगाए गए लेकिन इनमें से कोई बड़ा प्रोजेक्ट आकार नहीं ले पाया। अब 11 जुलाई को एक बार फिर देवास रोड पर ऐसा ही कुछ होने जा रहा है।
लगभग 3 दशक पहले उज्जैन में कई कपड़ा मिलें थीं इनमें इंदौर टैक्सटाईल्स, बिनोद बिमल मिल, हीरा मिल के सूती कपड़े की तो देश विदेश तक डिमांड थी। इन मिलों में काम कर चुके मजदूर बताते हैं कि उस दौरान इन तीनों मिलों में तैयार होने वाला कॉटन का कपड़ा यूरोप के कई ठंडे मुल्कों में जाता था लेकिन राजनीति के चलते यह सारी मिलें दो दशक पहले एक-एक कर बंद हो गई। इनमें काम करने वाले स्थायी और बदलीदार मिलाकर करीब 10 हजार मजदूर काम करते थे। इनके आश्रित लगभग 40 हजार परिवार के सदस्य इन्हीं मिलों से मिलने वाली पगार से जीवन यापन करते थे। इसके अलावा ऐशिया का सबसे बड़ा सोयाबीन प्लांट भी उज्जैन में ही खुला था। यह वही प्लांट हैं जहाँ तमिलनाडु के उद्योगपति 11 जुलाई को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की मौजूदगी में होजयरी उद्योग की आधारशिला रखने आ रहे हैं। इसके अतिरिक्त मक्सी रोड पर श्री सिंथेटिक्स फेक्टरी भी थी। इसमें भी शहर के हजारों लोग काम करते थे। पिछले दो से ढाई दशक में यह सारे उद्योग तबाह हो गए। इनमें काम करने वाले मजदूर तभी से बेरोजगार हो गए थे। मिलों में काम करने वाले मजदूरों में से लगभग 40 फीसदी तो मर चुके हैं। बावजूद इसके अभी भी मिल मजदूरों का सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी 87 करोड़ से ज्यादा का भुगतान नहीं हो रहा है।
छोटे उद्योग हैं लेकिन मूलभूत सुविधाएँ नहीं
प्रमुख मिलें बंद होने के बाद हालांकि आगर रोड स्थित उद्योगपुरी में पावर लूम उद्योग पनपने लगा था। इसके अलावा मक्सी रोड और देवास रोड स्थित उद्योगपुरी में भी लघु उद्योगों में मिल से बेरोजगार हुए ज्यादातर मजदूरों ने काम करना शुरु कर दिया था। इन तीनों उद्योगपुरियों में अभी लगभग 900 से ज्यादा लघु उद्योग हैं, जहाँ हजारों मजदूर काम कर रहे हैं। यह तीनों उद्योगपुरी आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही है। आगर रोड की उद्योगपुरी में सालों से सड़कें ही नहीं हैं। मक्सी रोड उद्योगपुरी में ड्रेनेज की वर्षों पुरानी समस्या है। यही हाल नागझिरी उद्योगपुरी में भी है। यहाँ के उद्यमि सालों से इन तीनों उद्योगपुरियों में मूलभूत सुविधाएँ जैसे सड़क, ड्रेनेज सिस्टम की मांग करते रहे हैं। बरसात में तो इन तीनों औद्योगिक क्षेत्रों में जल निकासी के अभाव में कारखानों में पानी भर जाता है। आधुनिक औद्योगिक विकास का दावा कर रहे जनप्रतिनिधियों को बड़े उद्योग लाने से पहले कम से कम इन लघु उद्योगों की अधोसंरचना को सुधारना चाहिए।
बांदका स्टील प्लांट अधूरा, उद्योग और नॉलेज सिटी भी अधर में
उल्लेखनीय है कि करीब एक दशक पहले जब रामविलास पासवान केन्द्र सरकार में केन्द्रीय इस्पात मंत्री थे, तब तत्कालीन सांसद उन्हें आगर रोड स्थित बांदका स्टील प्लांट का भूमिपूजन करवाने लाए थे। केन्द्रीय मंत्री पासवान ने इसका भूमिपूजन किया था और इसका आधारशिला पत्थर भी वहाँ लगाया गया था। कई सालों तक इस प्लांट का निर्माण कार्य शुरु ही नहीं हो पाया था। अभी भी यह अधर में ही है। इसी तरह सिंहस्थ 2016 के पूर्व देवास रोड पर नॉलेज सिटी बनाने की प्लानिंग की गई थी, वहीं नरवर पालखंदा में उद्योग सिटी बनाने की प्लानिंग भी हुई थी। सालों पहले मक्सी रोड पर ट्रांसपोर्ट नगर बनाने की योजना भी तैयार हो गई थी। यह सब वह बड़े कार्य हैं जो अगर समय रहते पूरे हो जाते तो धार्मिक नगरी उज्जैन के कई लोगों को रोजगार मिल जाता। इनमें से अधिकांश प्रोजेक्ट या तो कागजों पर हैं या फिर आधारशिला का पत्थर रखने के सालों बाद पूरे नहीं हो पाए हैं।
अब 11 जुलाई को होजयरी उद्योग का भूमिपूजन
देवास रोड पर बंद पड़े सोयाबीन प्लांट की जमीन पर अब होजयरी उद्योग खोलने की प्लानिंग कर ली गई है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान इसकी आधारशिला रखने के लिए 11 जुुलाई को उज्जैन आ रहे हैं। वे तमिलनाडु के उद्योगपतियों की मौजूदगी में इसका भूमिपूजन करेंगे। योजना के अनुसार दावा किया जा रहा है कि होजयरी फेक्टरी लगने से उज्जैन के 4 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। यह फेक्टरी दो शिफ्टों में चलेगी और एक शिफ्ट में दो हजार कर्मचारी काम करेंगे। शहर के लोगों को उम्मीद है कि भूमिपूजन के बाद जल्द से जल्द यह उद्योग शुरु हो तथा लोगों को रोजगार मिले। लोगों के मन में यह आशंका भी है कि यह योजना भी पुराने औद्योगिक प्रोजेक्टों की तरह अधर में न रह जाए।
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