नई दिल्ली। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) के 651 किलोवाट वाटर जेट प्रोपल्शन सिस्टम (Water jet propulsion system) का मंगलवार को सफल ट्रायल हुआ। इसे लार्सन एंड टर्बो (Larsen & Turbo) ने टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड स्कीम (Technology Development Fund Scheme) के तहत डिजाइन किया है, जिसका भारतीय नौसेना के फास्ट इंटरसेप्टर क्राफ्ट पर प्रारंभिक समुद्री परीक्षण किया गया। एक्स पर एक पोस्ट में कहा गया, ‘डीआरडीओ की टीडीएफ स्कीम के तहत एक बड़ा मील का पत्थर हासिल हुआ। 651 किलोवाट वॉटरजेट प्रोपल्शन सिस्टम ने भारतीय नौसेना के फास्ट इंटरसेप्टर क्राफ्ट पर समुद्री परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया। इसे लार्सन एंड टर्बो ने पूरी तरह स्वदेशी रूप से डिजाइन और डेवलप किया है।
वाटर जेट प्रोपल्शन सिस्टम क्या है?
वाटर जेट प्रोपल्शन सिस्टम एक आधुनिक तकनीक है जो जहाजों (खासकर तेज रफ्तार वाली नावों) को पानी में चलाने के लिए इस्तेमाल होती है। यह सिस्टम पानी को तेज गति से पीछे की ओर छोड़ता है, जिससे जहाज न्यूटन के तीसरे नियम (प्रतिक्रिया का सिद्धांत) के आधार पर आगे बढ़ता है। इसमें एक शक्तिशाली पंप पानी को जहाज के नीचे से खींचता है और नोजल के जरिए तेज जेट के रूप में बाहर फेंकता है। इसकी खासियत यह है कि इसमें पारंपरिक प्रोपेलर की तरह बाहर निकले हुए हिस्से नहीं होते, जिससे यह उथले पानी और तंग जगहों में भी प्रभावी है।
DRDO का 651 किलोवाट वॉटरजेट सिस्टम स्वदेशी तकनीक का शानदार उदाहरण है। यह सिस्टम तेज गति, बेहतर नियंत्रण और कम रखरखाव की जरूरत के लिए जाना जाता है। इसका डिजाइन इसे तेज मोड़ लेने और तुरंत रुकने में सक्षम बनाता है, जो नौसैनिक ऑपरेशनों के लिए जरूरी है। इसके अलावा, यह सिस्टम शोर और कंपन को कम करता है, जिससे यह गुप्त मिशनों के लिए भी उपयोगी है। लार्सन टर्बो की ओर से विकसित इस सिस्टम में 70% से ज्यादा स्वदेशी सामग्री है, जो भारत की आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved