नई दिल्ली । रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय सेना(Indian Army) शुक्रवार को एक और कारनामा (feat)कर दिखाया। ओडिशा तट पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (Dr. APJ Abdul Kalam)द्वीप से मिसाइल (MRSAM) के आर्मी वर्जन का सफल उड़ान परीक्षण किया गया, जो कि मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने में सक्षम है। यह टेस्ट 3 और 4 अप्रैल को चार चरणों में किया गया, जिसमें मिसाइल ने तेज गति वाले हवाई टारगेट को विभिन्न दूरी और ऊंचाई पर नष्ट किया इन परीक्षणों ने लंबी दूरी, छोटी दूरी और ऊंचाई पर लक्ष्यों को भेदने की इसकी क्षमता को साबित कर दिया। यह उपलब्धि भारतीय सेना के 2 रेजिमेंटों में इस हथियार प्रणाली के ऑपरेशन के लिए मार्ग प्रशस्त करती है।
यह MRSAM सिस्टम DRDO और इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) ने मिलकर तैयार किया है। इसमें रडार, मोबाइल लॉन्चर सिस्टम और दूसरे वाहन शामिल हैं। परीक्षण के दौरान मिसाइल ने हवाई लक्ष्यों को सीधे भेदा और उन्हें पूरी तरह नष्ट कर दिया। इसकी कार्यक्षमता को चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज पर आंका गया। रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम और अन्य उपकरणों से एकत्रित डेटा के जरिए इसे मान्य किया गया। यह हथियार प्रणाली पूरी तरह परिचालन स्थिति में थी, जिससे इसकी विश्वसनीयता और सटीकता की पुष्टि हुई।
‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में अहम कदम
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO, भारतीय सेना और उद्योगों को इस सफलता के लिए बधाई दी है। उन्होंने कहा कि 4 सफल परीक्षणों ने दूरी पर लक्ष्यों को भेदने की इस प्रणाली की क्षमता को फिर से स्थापित किया है। DRDO के अध्यक्ष डॉ. समीर कामत ने इसे सेना की परिचालन क्षमता बढ़ाने में एक बड़ा कदम बताया। साथ ही, यह उपलब्धि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य की दिशा में एक अहम कदम है। यह स्वदेशी तकनीक और रक्षा क्षेत्र में भारत की बढ़ती ताकत को दर्शाती है। इस परीक्षण से भारतीय सेना की वायु रक्षा प्रणाली मजबूत होगी और देश की सुरक्षा को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।
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