नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने पिछले हफ्ते परीक्षण के दौरान राजस्थान के पोखरण में स्वदेशी होवित्जर तोप की बैरल फटने की गहन जांच शुरू कर दी है। इसके तहत स्वदेशी रूप से विकसित उन्नत टिल्ड आर्टिलरी गन सिस्टम की गुणवत्ता की जांच की जाएगी।
डीआरडीओ से जुड़े सूत्रों ने बताया कि उन्नत टिल्ड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) को डीआरडीओ द्वारा दो निजी क्षेत्र की रक्षा की बड़ी कंपनियों के साथ विकसित किया जा रहा है। इन दिनों पश्चिमी राजस्थान में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर स्थित जैसलमेर जिले की पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में स्वदेशी दो कंपनियों की 155 एमएम और 52 कैलीबर के होवित्जर टाउड तोपों को विभिन्न मानकों पर जांचा परखा जा रहा है। यह परीक्षण निजी कंपनी सहित डीआरडीओ व सैन्य विशेषज्ञों की देखरेख में किया जा रहा है। परीक्षण के दौरान तोप से गोला दागते ही बैरल फट गई और इसके पास में खड़े तीन विशेषज्ञ घायल हो गए। डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने बताया कि वैज्ञानिक इस घटना की विस्तृत जांच कर रहे हैं। स्वदेशी रूप से विकसित एटीएजीएस को विश्व स्तर पर अच्छी श्रेणी के रूप में गिना जा रहा है। अपने अंतिम परीक्षणों के दौरान इसने लगभग 47 किमी की दूरी पर गोलीबारी की थी।
सेना को चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर तैनाती के लिए एटीएजीएस की एक बड़ी संख्या की आवश्यकता है। 1980 के मध्य में बोफोर्स तोपों को सेना में शामिल किया गया था। भारतीय सेना की सख्त जरूरत को देखते हुए भारत ने लगभग 5,000 करोड़ रुपये की लागत से 145 हॉवित्जर (यूएलएच) की आपूर्ति के लिए नवंबर 2016 में अमेरिका के साथ सौदा किया था।लगभग 30 साल के इंतजार के बाद सेना को अमेरिका से 2017 में दो अल्ट्रा-लाइट होवित्जर का पहला बैच मिला था। बीएई सिस्टम्स द्वारा निर्मित एम-777ए-2 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर (यूएलएच) की अधिकतम सीमा 30 किमी है। इसीलिए भारत ने स्वदेशी दो कंपनियों के साथ मिलकर 155 एमएम और 52 कैलीबर के होवित्जर टाउड तोपों का निर्माण किया है। एजेंसी
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