नई दिल्ली। ओडिशा के चांदीपुर और अब्दुल कलाम द्वीप (Chandipur and Abdul Kalam Islands of Disha) में अपने एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) को चक्रवाती तूफान ‘यास’ से बचाने के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने व्यापक इंतजाम किये हैं। अब्दुल कलाम द्वीप स्थित मिसाइल परीक्षण परिसर से लगभग 150 कर्मियों को निकाल लिया गया है और संचार नेटवर्क को छोड़कर बिजली के सभी उपकरण बंद कर दिए गए हैं। बुधवार तड़के ओडिशा के बालेश्वर व भद्रक जिले के बीच धामरा के निकट तूफान के लैंडफाल करने की संभावना के मद्देनजर यह एहतियाती कदम उठाए गए हैं।
एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के निदेशक एचके रथ ने कहा कि आईटीआर में दो अलग-अलग मिशन कंट्रोल रूम, ब्लॉक हाउस के अलावा चांदीपुर में तीन मिसाइल लॉन्चिंग पैड और अब्दुल कलाम द्वीप में एक लॉन्चिंग कॉम्प्लेक्स है। मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक तूफान ‘यास’ 26 मई की सुबह बालेश्वर व भद्रक जिले के बीच धामरा के निकट लैंडफाल करेगा। धामरा तट से करीब 12 किलोमीटर दूर अब्दुल कलाम द्वीप पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) का मिसाइल परीक्षण परिसर है जिसकी सुरक्षा के लिए एहतियाती कदम उठाए गए हैं। यहां कार्यरत लगभग 150 कर्मियों को द्वीप से निकाल लिया गया है और संचार नेटवर्क को छोड़कर बिजली के सभी उपकरणों को बंद कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि चक्रवात यास के ओडिशा में पहुंचने की संभावना के मद्देनजर अब्दुल कलाम द्वीप पर स्थिति की निगरानी कर रहे कुछ अधिकारियों और सुरक्षा कर्मियों को छोड़कर अन्य सभी को स्थानांतरित कर दिया गया है। संचार नेटवर्क, टावर और नियंत्रण कक्ष इस तरह से बनाए गए हैं कि वे 200 किमी. तक हवा की गति का सामना कर सकते हैं। 10 मीटर से भी ऊंची लहरें उठने के बावजूद चांदीपुर में तीन मिसाइल लॉन्चिंग पैड और अब्दुल कलाम द्वीप में लॉन्चिंग कॉम्प्लेक्स अप्रभावित रहेंगे। लंबी दूरी की मिसाइलों के परीक्षण के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण यह द्वीप आईटीआर से 80 समुद्री मील (110 किमी.) दूर है। सुरक्षा के मद्देनजर द्वीप के लिए नौका सेवा को निलंबित किया गया है।
आईटीआर के प्रवक्ता मिलन कुमार पाल ने बताया कि बेहद भीषण चक्रवाती तूफान का सामना करने के लिए तैयारी कर ली गई है।डीआरडीओ की ओर से जारी मानक संचालन प्रक्रियाओं को लागू करके हम किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही प्रयोगशालाओं के अंदर महत्वपूर्ण उपकरण रखे गए हैं।कंट्रोल रूम और ब्लॉक हाउस को 400 किमी. तक हवा की गति का मुकाबला करने के लिहाज से डिजाइन किया गया है। 1999 के सुपर साइक्लोन के बाद से इस परीक्षण रेंज ने पहले भी ‘अम्फान’ और ‘बुबुल’ सहित एक दर्जन से अधिक तूफानों का सामना किया है।