नई दिल्ली । रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) शनिवार को अपना 64वां स्थापना दिवस (64th Foundation Day) मना रहा है। आज ही के दिन 1958 में भारत (India) को विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Science and Technology) और विशेष रूप से सैन्य प्रौद्योगिकियों (military technologies) के मामले में मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के लिए डीआरडीओ का गठन किया गया था।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज डीआरडीओ के सभी वैज्ञानिकों और कर्मियों को उनके 64वें स्थापना दिवस पर शुभकामनाएं दीं। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि वे भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने और देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अथक प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि डीआरडीओ के वैज्ञानिक और कर्मी इसी जोश के साथ देश की सेवा करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि 63 वर्षों की अवधि में संगठन ने देश में रक्षा अनुसंधान और विकास के परिदृश्य को बदल दिया है।
डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने कहा कि पिछला वर्ष कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न कठिन परिस्थिति में भी बड़ी सफलताओं और उपलब्धियों का वर्ष था। महामारी के खिलाफ लड़ाई में डीआरडीओ की भूमिका के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि पीएम केयर्स फंड की मदद से 850 से अधिक ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा 2डीजी नाम की देश की पहली ओरल ड्रग विकसित की। देश के कई राज्यों में कोरोना केंद्रित अस्पताल स्थापित किए गए हैं। डॉ. रेड्डी ने कहा कि पिछले एक साल 2021 में 175 से अधिक प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण हुआ है।
डीआरडीओ अध्यक्ष ने कहा कि उनका संगठन हाइपरसोनिक सिस्टम हासिल करने के लिए पांचवीं पीढ़ी के उन्नत लड़ाकू विमान पर भी काम कर रहा है। स्वदेशी हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल के विकास के मुद्दे पर हाल ही में डीआरडीओ ने एक सेमिनार भी बुलाई थी। डीआरडीओ अध्यक्ष ने बताया कि उनके संगठन ने देश में छात्रों के बीच रक्षा अध्ययन को लोकप्रिय बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उन्होंने आने वाले वर्षों में देश को विश्व में अग्रणी और रक्षा अनुसंधान एवं उत्पादन के क्षेत्र में शुद्ध निर्यातक बनाने के लिए अपने संगठन की प्रतिबद्धता को दोहराया।
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