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देश के लिए DRDO ने बनाई सबसे खतरनाक मिसाइल, स्पीड इतनी कि रोक पाना मुश्किल

नई दिल्ली: भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) ने देश के लिए सबसे खतरनाक मिसाइल (most dangerous missile) बना ली है. यह मिसाइल ऐसी है जैसी अमेरिका, रूस, चीन (America, Russia, China) के पास है. इसकी स्पीड इतनी ज्यादा होती है कि इसे रोक पाना मुश्किल होता है. यह एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल (HCM) है, जिसकी गति 6126 से 12,251 km/hr तक हो सकती है. इससे पहले डीआरडीओ ने साल 2020 और 2023 में इसका परीक्षण कर चुका है. दोनों ही सफल रहे थे.

पहले जो परीक्षण हुए थे, उनका नाम था हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्सट्रेटर व्हीकल (Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle – HSTDV). भारत पिछले कुछ सालों से हाइपरसोनिक हथियार पर काम कर रहा है. पिछली बार एचएसटीडीवी का परीक्षण 20 सेकंड से भी कम समय का था. तब इसकी गति करीब 7500 किमी प्रति घंटा थी. भविष्य में इस गति को घटा या बढ़ा सकते है. अगर इसमें पारंपरिक या परमाणु हथियार लगाकर दागते हैं, तो पाकिस्तान में हमला कुछ ही सेकेंड में हो जाएगा. यानी कुछ ही सेकेंड में पाकिस्तान और चीन के कई महत्वपूर्ण जिले या सैन्य बेस ध्वस्त किए जा सकते हैं.

हाइपरसोनिक मिसाइल की जरूरत क्यों पड़ी? इसकी वजह है अमेरिका. अमेरिका पिछले कुछ सालों से लगातार हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने का प्रयास कर रहा है. हालांकि रूस उससे इस मामले में आगे निकल चुका है. रूस के पास कई हाइपरसोनिक मिसाइलें हैं. चीन के पास भी ऐसे हथियार हैं. हाइपरसोनिक हथियार वो होते हैं, जो साउंड की गति से पांच गुना ज्यादा स्पीड में चले. यानी 6100 km/hr या उससे ज्यादा. इनकी गति इतनी तेज होती है कि इन्हें ट्रैक करके मार गिराना आसान नहीं होता. रूस ने यूक्रेन पर हाइपरसोनिक मिसाइल से हमला तक किया था.

भविष्य में हाइपरसोनिक हथियारों का जखीरा बढ़ेगा और ये ज्यादा घातक हो जाएंगे. अमेरिका तो ऐसे हथियार बना रहा है जो बैलिस्टिक मिसाइल की तरह लॉन्च होगा लेकिन टारगेट को ध्वस्त करने से पहले उसकी गति आवाज की गति से आठ गुना ज्यादा होगी. किसी भी क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइल की गति तेज होती है. इनकी गति और दिशा को ट्रैक कर सकते हैं. इन्हें मार कर गिरा सकते हैं. लेकिन गति अगर 6100 km/hr ज्यादा होती है तो इन्हें गिराना लगभग असंभव हो जाता है. अगर खुद से दिशा बदलने की तकनीक हो तो इन्हें ट्रैक करना बहुत मुश्किल होता है.

हाइपरसोनिक हथियार दो प्रकार के होते हैं. पहले होते हैं ग्लाइड व्हीकल्स. दूसरे क्रूज मिसाइल. फिलहाल दुनिया के ज्यादातर देश यहां तक कि भारत भी हाइपरसोनिक ग्लाइड पर ध्यान दे रहे हैं. असल में इन ग्लाइड व्हीकल्स के पीछे मिसाइल लगाई जाती है. एक तय दूरी तक करने के बाद मिसाइल अलग हो जाती है, उसके बाद ग्लाइड व्हीकल्स खुद ही दिशा और गति तय करते हुए टारगेट की तरफ बढ़ते हैं. इन हथियारों में स्क्रैमजेट इंजन होता है जो हवा मे मौजूद ऑक्सीजन का इस्तेमाल करके तेजी से उड़ता है.

फिलहाल हाइपरसोनिक मिसाइल अमेरिका, रूस और चीन के पास हैं. उत्तर कोरिया के बारे में भी कहानियां आती रहती हैं लेकिन पुख्ता सबूत नहीं है. भारत भी ऐसे हथियार विकसित करने लगा है. साथ ही ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय देश भी जुटे हैं. दुनिया का सबसे घातक हाइपरसोनिक हथियार रूस के पास है. इसे एवगार्ड मिसाइल कहते हैं. यह एक ICBM है. जो 24,696 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ सकती है. भारत ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल बना रहा है. इसमें स्क्रैमजेट इंजन लगेगा. इससे तेज गति और ग्लाइड करने की ताकत मिलेगी. इसकी रेंज अधिकतम 600 km होगी. लेकिन गति 8,575 km/hr होगी. इसे जहाज, पनडुब्बी, विमान या जमीन पर लगाए गए लॉन्चपैड से दागा जा सकेगा.

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