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    अरुणाचल के पास ड्रैगन की नई चाल, भारत की सीमा से मात्र 20 किमी दूर चीन ने बनाया हेलिपोर्ट

  • September 19, 2024

    नई दिल्ली. इसमें कोई सीक्रेट (The Secret) नहीं है कि चीन (China) ने भारतीय सीमा (India’s border) के उस पार सैकड़ों मॉडल गांव बसा दिए हैं. इसमें से तो कुछ ऐसी जगहों पर हैं, जिन्हें दूसरे देश अपना इलाका भी कहते हैं. आम नागरिकों की ये बसाहट बीजिंग (beijing) के लिए आंख और कान का काम करती है. चीन उसी के आधार पर अपनी ताकत में बढ़ोतरी करता है. सीमा पर जरूरी सामान भेजता है.

    अब चीन ने भारत-चीन सीमा के पास अपनी सुरक्षा बढ़ाने के लिए हेलिपोर्ट (heliport) का निर्माण कर दिया है. यह एक फिशटेल जोन है, यानी भारत और चीन के बीच सबसे विवादित जगहों में से एक.



    यहां सैटेलाइट तस्वीर में पिछले साल दिसंबर में इस तरह दिख रहा था चीन का वो इलाका.
    अमेरिकी कंपनी प्लैनेट लैब्स ने हाल ही में सैटेलाइट तस्वीरें लीं. जिसमें अरुणाचल प्रदेश के फिशटेल सेक्टर के पास 600 मीटर लंबा रनवे दिखा. कई हैंगर दिखे. यहां पर चीन नया हेलिपोर्ट बना रहा है. यानी अटैक और निगरानी करने वाले हेलिकॉप्टरों का एयरपोर्ट.

    इस जगह पर दिसंबर 2023 में कोई निर्माण नहीं था. लेकिन इंडिया टुडे ने जब सेंटीनल हब के ओपन सोर्स सैटेलाइट इमेज खंगाले तो पता चला कि 16 सितंबर 2024 तक इस जगह पर एडवांस लेवल का निर्माण हो चुका है. यह निर्माण 1 दिसंबर 2023 में शुरू हुआ या उसके थोड़ा बाद. जनवरी 2024 से यह फुल स्पीड में बनने लगा.

    ये हेलिपोर्ट तिब्बत के निंगची में जायू काउंटी की गॉन्गरिगाबू क्यू नदी के पास बन रहा है. यह भारतीय सीमा से मात्र 20 किलोमीटर दूर है. यह भारत के लिए बड़ी चिंता का विषय है.

    ओपन सोर्स रिसर्चर डेमियन सिमोन कहते हैं कि चीन को इस पोर्ट से यह फायदा होगा कि वह आसानी से फॉरवर्ड पोस्ट पर अपने सैनिकों को पहुंचा सकेगा. साथ ही इससे सीमा पर पेट्रोलिंग में आसानी होगी.

    चांगलाम इलाका जिसे फिशटेल कहते हैं वह अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी कोने में है. यहां पर ज्यादातर ग्लेशियर हैं. यहां दोनों तरफ से पेट्रोलिंग करना बेहद जटिल है. कम होती है. और दूर से होती है. लेकिन इस इलाके में चीनी सैनिकों की ओर से घुसपैठ अक्सर किया जाता है.

    ये है अरुणाचल प्रदेश के फिशटेल इलाके का नक्शा, जहां से 20 किलोमीटर की दूरी पर चीन ने हेलिपोर्ट बनाया है.
    फिशटेल-1 दिबांग वैली में है. फिशटेल-2 अन्जॉव जिले में है. सेंटर फॉर ज्वाइंट वॉरफेयर स्टडीज के डायरेक्टर जनरल मेजर जनरल (डॉ.) अशोक कुमार के मुताबिक यह जगह बहुत ही ज्यादा संवेदनशील है. यहां पर LAC को लेकर दोनों ही देशों में कई मतभेद हैं. अपने-अपने परसेप्शन हैं.

    कारगिल युद्ध लड़ चुके मेजर जनरल अशोक ने कहा कि ऐसी जगहों पर हेलिपोर्ट बनाने से दो फायदे हैं. पहला खुद की सुरक्षा और भविष्य के संघर्षों में मदद मिलना. चीन अपने अंदरूनी मुल्क से हान कम्यूनिटी की आबादी को लाकर इन पहाड़ों पर बसा रही है. ताकि यहां डेमोग्राफी बदली जा सके.

    विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 12 सितंबर को कहा था कि चीन के साथ जितने भी विवाद हैं, उनमें से 75 फीसदी को खत्म कर लिया है. लेकिन बड़े मामले अभी हैं. जिसकी वजह से चीन सीमा पर मिलिट्री ताकत बढ़ती जा रही है. 2020 में जो हुआ वो कई तरह के एग्रीमेंट्स को तोड़ा गया था. उसकी वजह अब तक स्पष्ट नहीं है.

    जयशंकर गलवान संघर्ष की बात कर रहे हैं. जिसमें एक कर्नल समेत 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे. साथ ही चार चीनी सैनिक भी मारे गए थे. दोनों तरफ से इस बात पर सहमति बनी है कि बाकी के इलाकों में भी किसी तरह के संघर्ष न हों. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने भी सीमा पर शांति बनाने और LAC का सम्मान बनाए रखने की बात कह चुके हैं.

    मेजर जनरल अशोक कुमार कहते हैं कि भारत के लिए फायदेमंद यह होगा कि वह ऐसे डेवलपमेंट पर नजर रखे. साथ ही खुद भी सीमा पर ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करे. भारत इसके जवाब में वाइब्रेंट विलेज योजना को तेजी से आगे बढ़ा सकता है. इसमें अरुणाचल प्रदेश भी है. साथ ही चीन से लगी अन्य सीमाओं पर भी यही करना चाहिए.

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