वाशिंगटन: ताइवान के आसपास चीन ने बड़े सैन्य अभ्यास से अमेरिका को एक चेतावनी देनी चाही लेकिन उसका ये दांव अब लगता है कि उसके लिए ही भारी पड़ने वाला है. इसे अमेरिका और उसके सहयोगियों ने खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए एक मौके के तौर पर देखा और कई उपयोगी जानकारी जुटाने में सफल भी रहे.
पिछले सप्ताह के चीन के चार दिनों के गहन सैन्य अभ्यास और इस सप्ताह विस्तारित युद्धाभ्यास से अमेरिका को उन मिसाइलों की जांच करने का मौका मिला, जिनका उपयोग चीन भविष्य में किसी भी हमले में करेगा. विश्लेषकों का कहना है कि चीन की सेनाओं के साथ-साथ उसकी कमान, नियंत्रण और संचार प्रणाली जैसी व्यवस्थाओं के बारे में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को काफी जानकारी मिल चुकी है.
न्यूज एजेंसी रायटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बार के सैन्य अभ्यास में चीन ने पहली बार ताइवान खाड़ी में बैलिस्टिक मिसाइलों दागी हैं और हवाई और समुद्री हमलों का अभ्यास किया है. इस मामले में डेटा जुटाने के चल रहे अभियान को अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने कबूल किया है.
फिर भी उनका मानना है कि चीन के अभ्यास के दौरान अपनी सर्वश्रेष्ठ रणनीति और हथियारों को सामने लाने की संभावना नहीं है. क्योंकि वह भी जानता है कि उस पर करीबी नजर रखी जा रही है. जबकि सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि हथियारों की बजाय सैन्य अभ्यास ने चीनी सेना के प्रमुख तत्वों- जैसे चीन के पूर्वी थिएटर कमांड, इसके रॉकेट फोर्स और स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स के बारे में जानकारी हासिल करने का एक प्रमुख मौका दिया.
चीन के सैन्य अभ्यास के दौरान अमेरिका ने ताइवान के पूर्व में कम से कम चार युद्धपोतों को यूएसएस रीगन विमानवाहक पोत के साथ लगा रखा है. वे ताइवान के पूर्व में फिलीपींस सागर के आसपास बने हुए हैं. जिनमें विमान और एक मिसाइल निगरानी जहाज शामिल हैं. ताइवान ने भी चीनी अभ्यास के दौरान अपने घरेलू अल्बाट्रॉस टोही ड्रोन भी उड़ाए. अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने कहा कि किसी भी खुफिया जानकारी के विश्लेषण में समय लगेगा.
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