भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के राज्य पुरातत्व संग्रहालय के सभागार में सोमवार को डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर (Dr. Vishnu Sridhar Wakankar) राष्ट्रीय सम्मान (National Award) समारोह का आयोजन किया गया जिसमें प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने प्रो. गिरिराज कुमार और प्रो. वीएच सोनवणे (Prof. Giriraj Kumar and Prof. VH Sonawane) को डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर राष्ट्रीय सम्मान (Dr. Vishnu Sridhar Wakankar National Award ) से सम्मानित किया।
संस्कृति मंत्री उषा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश विपुल पुरातत्व संपदा से भरपूर है। पुरातत्व संपदा के क्षेत्र में किए गए शोध कार्यों से भारतीय संस्कृति की प्रमाणिकता एवं गौरव को बढ़ावा मिलता है। समारोह में प्रो. गिरिराज कुमार को 2017-18 और प्रो. वीएच सोनवणे को 2016-17 के डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया गया।
उषा ठाकुर ने पुरातत्व वेत्ता प्रोफेसर द्वय गिरिराज कुमार एवं सोनवणे को राष्ट्रीय सम्मान के लिए बधाई और शुभकामनाएँ देते हुए उनके द्वारा किए गए शोधकार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि दोनों पुरातत्व वेत्ताओं के शोधकार्यों ने भारत की विपुल संपदा को प्रमाणिकता देकर विश्व में कीर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी पुरातत्व संग्रहालयों को ऑडियो-वीडियो एवं वर्चुअल माध्यम से जनसामान्य के समक्ष आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया जाये तो लोग उनसे प्रेरणा लेकर अपनी पुरासम्पदा और संस्कृति पर गर्व कर सकेंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला ने कहा कि मध्यप्रदेश की पुरासम्पदा के क्षेत्र में अनूठी पहचान है। डॉ. वाकणकर का पुरासम्पदा की खोज के क्षेत्र में अमूल्य योगदान था। प्रदेश में पर्यटन एवं संस्कृति की असीम संभावनाएँ हैं, जिसका संरक्षण और संवर्द्धन लगातार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ल्ड हेरीटेज की साइट में प्रदेश के तीन स्थल खजुराहो, साँची एवं भीम बैठका शामिल हैं। जिसमें सतपुड़ा नेशनल पार्क एवं भेड़ाघाट को शामिल करने का प्रयास जारी है। प्रदेश में रॉक आर्ट कई स्थलों पर बिखरी पड़ी हुई है जिसकी खोज के लिए कोई कमी नहीं छोड़ी जायेगी। नई पीढ़ी को शोध कार्यों में प्रोफेसर द्वय के उत्कृष्ट कार्यों से प्रेरणा मिलेगी।
समारोह में राष्ट्रीय सम्मान से सम्मिलित किए गए प्रोफेसर द्वय सोनवणे एवं गिरिराज कुमार ने अपने अनुभव साझा किये। पुरातत्व अधिकारी डॉ. रमेश यादव ने आभार प्रदर्शन एवं पुरातत्ववेत्ता आशुतोष उपरीत ने कार्यक्रम का संचालन किया। (एजेंसी, हि.स.)
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