कोलंबो। वह श्रीलंका (Sri Lanka) में मौजूदा राष्ट्रपति (President) की करीबी और शक्तिशाली राजपक्षे परिवार (Rajapaksa Family) की कटु आलोचक हैं। शिक्षक बनीं, तो शिक्षकों की मांगों को लेकर एक बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया। राजनीति में उतरीं, तो महंगाई के विरोध में हुए आंदोलन से लेकर तख्तापलट तक में अहम भूमिका निभाई। हरिनी अमरसूर्या (Harini Amarasuriya) के प्रधानमंत्री (Prime Minister) बनने की कहानी में कई मोड़ हैं।
हाल ही में अधिकृत रूप से श्रीलंका की नई प्रधानमंत्री बनीं डॉ. हरिनी अमरसूर्या का संक्षिप्त परिचय दिया जाए, तो वह यह है कि उन्होंने बचपन से लेकर पचपन की उम्र में प्रवेश करने तक अपने जीवन में विरोध और संघर्ष ही देखा है। वह जब सिर्फ दो वर्ष की थीं, तब उनके बागवान पिता को अपना मूल निवास स्थान छोड़कर राजधानी कोलंबो में शरण लेनी पड़ी। दस वर्ष की उम्र में गृहयुद्ध की वजह से उनके परिवार को कुछ समय के लिए देश छोड़ कर जाना पड़ा। हालांकि हरिनी और उनके परिवार का संघर्ष जारी रहा। श्रीलंका के अलावा, भारत और दूसरे कई देशों से समाजशास्त्र और नृविज्ञान में शिक्षा हासिल करने वाली हरिनी अमरसूर्या राजनीति में आने से पहले शिक्षक थीं। परिवारवाद, विशेषकर राजपक्षे परिवार की कटु आलोचक डॉ. हरिनी ने 2011 में श्रीलंका ओपन यूनिवर्सिटी में वरिष्ठ शिक्षक की नौकरी जॉइन करते ही, शिक्षक आंदोलन खड़ा कर दिया। वह 2019 में शिक्षक की नौकरी से इस्तीफा देकर सक्रिय राजनीति में आ गईं और फिर 2022 में आर्थिक संकट की वजह से श्रीलंका में विरोध और तख्तापलट में भी उनकी अहम भूमिका रही। पूर्व की श्रीलंकाई राजनीतिक संस्कृति को जहरीली और पुरुष प्रधान बताने वाली डॉ. हरिनी बुकर पुरस्कार विजेता भारतीय लेखिका और एक्टिविस्ट अरुंधति रॉय की प्रशंसक हैं। वह श्रीलंका की 16वीं और तीसरी महिला प्रधानमंत्री हैं।
ऐसे की शुरुआत
छह मार्च, 1970 को दक्षिण-पश्चिमी श्रीलंका के तटीय शहर गाले में जन्मीं अमरसूर्या तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। उनके पिता चाय बागान के मालिक थे और माता गृहिणी। लेकिन 1972 में श्रीलंका में भूमि सुधार कानून की वजह से उनकी जमीन छीन ली गई और परिवार कोलंबो आ गया। उन्होंने स्कूली शिक्षा कोलंबो के मिशनरी स्कूल से हासिल की। 1980 में गृहयुद्ध की वजह से उन्हें कुछ समय के लिए देश छोड़ना पड़ा था।
दिल्ली से एडिनबर्ग तक
अब तक अविवाहित 54 वर्षीय अमरसूर्या ने भारत सरकार की ओर से मिली छात्रवृत्ति से दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से 1991 से 1994 तक समाजशास्त्र ऑनर्स में स्नातक की डिग्री हासिल की। वह कहती हैं कि दिल्ली में बिताए गए चार साल उनके जीवन के सर्वोत्कृष्ट थे। वह कॉलेज में वाद-विवाद समेत कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थीं। डॉ. हरिनी बॉलीवुड निर्देशक नलिन रंजन सिंह, इम्तियाज अली और वरिष्ठ पत्रकार अर्णब गोस्वामी की बैचमेट रही हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया से एप्लाइड एंथ्रोपोलॉजी में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने स्कॉटलैंड की एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से सोशल एंथ्रोपोलॉजी में पीएचडी की।
आंदोलन की राह
डॉ. हरिनी अमरसूर्या ने अपने कॅरिअर की शुरुआत एनजीओ से की। 2011 में उन्होंने श्रीलंका की ओपन यूनिवर्सिटी के समाज विज्ञान विभाग में वरिष्ठ व्याख्याता की नौकरी हासिल की, लेकिन इसी वर्ष वह विश्वविद्यालय शिक्षक संघ से जुड़ गईं और शिक्षकों की कई मांगों को लेकर आंदोलन खड़ा किया। वह देश के कुल बजट का छह फीसदी शिक्षा के लिए मांग करती रही हैं। उल्लेखनीय है कि 2023 में श्रीलंका का शिक्षा बजट दो फीसदी था। पूरा कॅरिअर शिक्षा के लिए समर्पित रहने की वजह से श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने डॉ. हरिनी को प्रधानमंत्री पद के साथ ही शिक्षा मंत्रालय भी सौंपा है।
सक्रिय राजनीति
वर्ष 2019 में शिक्षक की नौकरी से इस्तीफा देकर डॉ. हरिनी राष्ट्रीय बौद्धिक संघ जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी)में शामिल हो गईं। इसी वर्ष उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में अनुरा कुमारा दिसानायके के लिए चुनाव प्रचार किया और 2020 में वह संसद प्रत्याशी बनीं। वह लिंग के आधार पर भेदभाव की विरोधी और एलजीबीटीक्यू के अधिकारों की समर्थक भी रही हैं। 2022 में हुए श्रीलंका के विरोध प्रदर्शन के दौरान डॉ. हरिनी दिसानायके की वामपंथी पार्टी नेशनल पीपुल्स पावर के साथ सक्रिय रूप से जुड़ गईं और 2024 के चुनाव में उनकी पार्टी को विशाल जीत हासिल हुई। डॉ. हरिनी से पहले सिरिमाओ भंडारनायके और चंद्रिका कुमारतुंगा श्रीलंका की महिला प्रधानमंत्री रह चुकी हैं।
लिख चुकी हैं कई किताबें
डॉ. हरिनी अमरसूर्या युवाओं, राजनीति, असहमति, एक्टिविज्म, बाल संरक्षण और विकास जैसे मुद्दों पर रिसर्च करने के साथ किताबें भी लिख चुकी हैं। जेंडर एंड पॉवर्टी ने सिलेक्टेड लोकेशंस इन श्रीलंका, द इंटिमेट लाइफ ऑफ डिसेंट : एंथ्रोपोलॉजिकर पर्सपेक्टिव्स उनकी प्रमुख किताबें हैं।
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