इन्दौर। कल कांग्रेस की कार्यकारिणी भंग होने के बाद कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति पर भी तलवार लटक गई है। इस संबंध में प्रदेश कांग्रेस ने कोई स्पष्ट निर्देश जारी नहीं किए हैं, लेकिन जिस तरह से कल प्रदेश प्रभारी भंवर जितेन्द्रसिंह ने पूरी कार्यकारिणी भंग कर दी है, उससे अब माना जा रहा है कांग्रेस पदाधिकारियों की फौज नहीं रहेगी, बल्कि काम करने वालों को ही मौका मिलेगा। हालांकि देखना तो यह दिलचस्प होगा कि प्रभारी की इस मामले में कितनी चलती है? कल कार्यकारिणी भंग होने के बाद अब कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति पर कोई कुछ नहीं बोल रहा है। इंदौर शहर में पहले एक कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में गोलू अग्रिहोत्री थे, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने यहां 6 और कार्यकारी अध्यक्ष बना दिए, जिसमें देवेन्द्रसिंह यादव, अमन बजाज, टंटू शर्मा, अंकित खड़ायता, अरविन्द बागड़ी, लक्ष्मीनारायण मिमरोट शामिल थे।
हालांकि सभी को किसी न किसी गुट के कारण नियुक्ति देना पड़ी थी। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में पहले से ही सोहराब पटेल, बलराम पटेल और मनीष पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष बना रखा है। ये अलग बात है कि इनमें से कई अध्यक्ष तो विधानसभा चुनाव में अपना बूथ तक ही नहीं जीत पाए और न ही जिस वार्ड में रहते हैं, उस वार्ड में कांग्रेस प्रत्याशी को बढ़त दिला सके। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि वे बने रहेंगे या नहीं? वैसे कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी जितेन्द्रसिंह ने कहा है कि शहर अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष और प्रभारी तथा सहप्रभारी को छोड़कर सारी नियुक्तियां भंग की जाती हैं तो फिर कैसे कोई पद बना रह सकता है। -सुरजीतसिंह चड्ढा, शहर कांग्रेस अध्यक्ष
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