इंदौर, संजीव मालवीय। इस बार के नगर निगम चुनावों में कुछ वार्डों के परिणामों को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। जिस तरह से पंचायत चुनाव के परिणाम आए हैं, उससे भी आशंका जताई जा रही है कि इस बार भाजपा को कई सीटों पर नुकसान हो सकता है। इसका बड़ा कारण प्रत्याशी चयन और कम मतदान होना बताया जा रहा है। कांग्रेस की सीटें यथावत रह सकती हैं और मुकाबला कड़ा होने के कारण सीटों में इजाफा भी हो सकता है। निगम की 85 सीटों में से 39 सीटों के परिणाम पर संशय की स्थिति बनी हुई है, यानि इन सीटों पर कुछ भी हो सकता है। ये भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय के हाथों में जा सकती हैं। हालांकि तीन दिन बाद सब स्पष्ट हो जाएगा कि किसने चुनाव में कितना दम लगाया और नगर सरकार में कौन बैठेगा?
महापौर प्रत्याशी के रूप में संजय शुक्ला के आने के बाद मुकाबला रोचक हो गया था और शुक्ला के सामने पूरी भाजपा ने खूब दम भी लगाया। कई लोग शुक्ला के जीतने के कयास लगा रहे हैं तो कुछ कह रहे हैं कि भाजपा के पुष्यमित्र भार्गव ही महापौर बनेंगे। इन दोनों के बीच भी पार्षदों का भविष्य टिका हुआ है। कांग्रेस के कई पार्षद प्रत्याशियों को शुक्ला ने एक तरह से संजीवनी देने का काम किया है तो इस बार टिकट वितरण के मामले में नीचे के कार्यकर्ताओं को तवज्जो देने से भी कांग्रेस में जोश है और इसलिए वे भी अपनी जीत को तय मानकर चल रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा के कुछ प्रत्याशियों को अपनी ही पार्टी के जयचंदों का सामना करना पड़ा है तो कहीं-कहीं बागियों ने मुसीबत बढ़ा दी है, वहीं टिकट वितरण में विधायकों की चलना भी कई सीटों पर भाजपा की जीत के समीकरण गड़बड़ा सकता है। इंदौर में 39 सीटें ऐसी हैं, जिसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। ये सीटें भाजपा और कांग्रेस के पास रही हैं, लेकिन इस बार कांग्रेस को सीटों का फायदा हो सकता है तो भाजपा को नुकसान। पिछली परिषद में भाजपा के पास 65 सीट थीं, लेकिन अब इसमें से आधी सीटों पर ही कहा जा सकता है कि ये सीधे भाजपा के खाते में आ रही हैं, वहीं कांग्रेस की 15 सीटें बरकरार रहने वाली हैं और इसमें इजाफा होने की संभावना है। अब देखना यह है कि 39 सीटें, जहां मुकाबला बराबरी का था या कहीं त्रिकोणीय था, उनमें से कितनी सीटें भाजपा और कांग्रेस के खाते में जाती हैं?
विधानसभावार यह है विश्लेषण
1 नंबर विधानसभा में भाजपा 12 में से आधी सीटों पर मजबूत है तो कांग्रेस 4 सीटों पर। यहां 7 सीटों पर संशय की स्थिति है तो दो नंबर में भी यही हाल है। 15 में से 8 सीटें परफेक्ट हैं, जो भाजपा के खाते में सीधे आती दिख रही हैं तो कांग्रेस की तीन सीटें बरकरार रहेंगी, वहीं 8 सीटों पर कुछ कहा नहीं जा सकता। सबसे छोटी विधानसभा 3 नंबर में भी 5 में से 2 सीटें भाजपा के पास आ जाएंगी, यह तो तय है। कांग्रेस की 4 में से 3 सीटें आने की संभावना है तो 5 सीटों पर कश्मकश की स्थिति बनी हुई है। 4 नंबर विधानसभा में 11 में से 6 सीटें सॉलिड भाजपा के खाते में आती दिख रही है तो कांग्रेस यहां से 2 सीटें ले जाएंगी, लेकिन 5 सीटों पर मुकाबला तगड़ा है। 5 नंबर विधानसभा में 11 सीटें मझधार में फंसी हुई हैं। इनमें से कौनसी सीट भाजपा में जाएगी तो कौनसी कांग्रेस में यह कहना अभी मुश्किल है, क्योंकि यहां बागियों ने समीकरण गड़बड़ाकर दिए हैं। 15 में से 5 सीटें भाजपा तो पिछली बार से 1 से ज्यादा 2 सीट कांग्रेस के खाते में जाती दिख रही है। राऊ में 7 में से 4 सीटें भाजपा और 1 सीट कांग्रेस के पास निश्चित जाएंगी, लेकिन यहां भी 3 सीटों में से देखना होगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा?
संशय के ये हैं संभावित कारण
– मतदान का प्रतिशत कम आना।
– कई प्रत्याशियों का स्थानीय स्तर पर विरोध।
– दोनों ही दलों में बागी प्रत्याशियों का खड़ा होना।
– कई वार्डों में बड़े नेताओं का रूचि नहीं लेना।
– टिकट वितरण पर भी खड़े हुए हैं सवाल।
– भाजपा में कई बड़े नेताओं का नाराज होना।
– कांग्रेस का मध्यमवर्गीय को टारगेट करना।
दलीय स्तर पर संभावित विजयी वार्ड (विधानसभा वार)
विधानसभा भाजपा कांग्रेस संशय की सीटें कुल
01 06 04 07 17
02 08 03 08 19
03 02 03 05 10
04 06 02 05 13
05 05 02 11 18
राऊ 04 01 03 08
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved