लाहौर: गिलगित-बाल्टिस्तान में शुक्रवार को जनता सड़कों पर रही. सब्सिडी वाले गेहूं की दर में वृद्धि और 22 घंटा बिजली कटौती के खिलाफ गिलगित में जमकर प्रदर्शन चल रहे हैं. शुक्रवार को सभी जिलों में प्रदर्शन से जनजीवन ठप हो गया, इस दौरान लगभग सभी दुकानें बंद रही और आवागमन बाधित रहा.
एक रिपोर्ट के मुताबिक गिलगित, स्कर्दू, डायमर, घाइजर, एस्टोर, शिघर, घांचे, खरमंग, हुंजा और नगर के विभिन्न इलाकों में दुकानें, बाजार, रेस्तरां और व्यापार केंद्र बंद रहे. इस दौरान सड़कों पर जाम लगा रहा. परिवहन सुचारु नहीं होने की वजह से निजी और सरकारी कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में लोग काफी कम संख्या में पहुंचे. दुकानें बंद होने से लोगों को आवश्यक सामान खरीदने में भी कठिनाई हुई.
एक रिपोर्ट के मुताबिक व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों और होटल मालिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले संघों के परामर्श पर अवामी एक्शन कमेटी (AAC) ने हड़ताल का आह्वान किया था. बताया जाता है कि सब्सिडी वाले गेहूं की कीमत बढ़ाने के सरकार के फैसले के खिलाफ पिछले एक महीने से प्रदर्शन चल रहा है.
प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने जीबी सरकार के सब्सिडी वाले गेहूं की दर बढ़ाने के फैसले की निंदा करते हुए इसे मुख्यमंत्री की विफलता करार दिया. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो काराकोरम राजमार्ग को बंद कर दिया जाएगा. शुक्रवार की नमाज के बाद टांगिर, अस्तोर, खरमंग, स्कर्दू, शिगार, घांचे, हुंजा, नगर और घाइजर में भी विरोध रैलियां और प्रदर्शन आयोजित किए गए.
AAC के मुख्य आयोजक एहसान अली ने कहा- जीबी निवासी पिछले 70 सालों से अपने बुनियादी अधिकारों से वंचित हैं. उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा- “इस समय सरकारी धन से सालाना अरबों रुपये खर्च करने के बावजूद, जीबी के लोगों को 22 घंटे बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है.”
इस बीच जीबी गवर्नर सैयद मेहदी शाह ने शुक्रवार को इस्लामाबाद में राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी से मुलाकात की और गेहूं सब्सिडी सहित क्षेत्र की स्थिति पर चर्चा की. प्रेसीडेंसी द्वारा जारी एक बयान के अनुसार राष्ट्रपति ने राज्यपाल से कहा कि उन्होंने कार्यवाहक प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के साथ इस मुद्दे को उठाया है और उम्मीद है कि इसे जल्द ही हल किया जाएगा.
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