लंदन। कोरोना वायरस (Corona Virus) की दो अलग-अलग वैक्सीनों (Vaccines) की खुराकें (Dose) देने से क्या फायदा हो सकता है, इस बात को टेस्ट करने के लिए ब्रिटेन (Britain) में किया जा रहा ट्रायल(trial) और विस्तृत किया जा रहा है। इसमें उम्मीद जताई गई है कि वायरस (Virus) और उसके नए वेरियंट्स(New variants) के खिलाफ इम्यूनिटी (Immunity) बढ़ाई जा सकेगी और वैक्सिनेशन प्रोग्राम(Vaccination program) को आसान भी किया जा सकेगा।
एक रिपोर्ट के मुताबिक Com-Cov की स्टडी में हिस्सा लेने के लिए ऐसे लोगों अप्लाई कर सकते हैं जिन्हें Pfizer या AstraZeneca की वैक्सीन की पहली खुराक लग चुकी है। उन्हें दूसरी खुराक या तो वही दी जाएगी या Moderna और Novavax में से एक।
इस स्टडी में 800 से ज्यादा लोग हिस्सा ले चुके हैं। इसके नतीजे अगले महीने आ सकते हैं और बढ़ाए गए कैंपेन के नतीजे जून या जुलाई में। यह स्टडी एक साल तक जारी रहेगी। वैसे तो हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि वैक्सीन की खुराकें मिलाना सुरक्षित है, ट्रायल में किसी भी साइड-इफेक्ट पर नजर रखी जाएगी। इस ट्रायल को छोड़कर आम केस में भी, एक ही वैक्सीन की पहली और दूसरी खुराकें देने की सलाह दी जाती है। इसमें ब्रैंड चेंज हो सकता है। Moderna को ब्रिटेन में मंजूरी मिली है और यह Pfizer की तरह की काम करती है। Oxford-AstraZeneca इससे अलग तरह से काम करती है। हालांकि, ऑक्सफर्ड और जॉनसन ऐंड जॉनसन की वैक्सीन देने पर खून के थक्के जमने की रिपोर्ट्स सामने आई हैं। कई जगहों पर इसके चलते वैक्सिनेशन फिलहाल रोक दिया गया है। वहीं, चीन के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेन्शन के हेड जॉर्ज गाओ ने भी हाल ही में कहा कि ‘अब इस बात पर गंभीरता से विचार हो रहा है कि क्या हमें वैक्सिनेशन के लिए अलग-अलग टीकों का इस्तेमाल करना चाहिए।’ ब्रिटेन की जॉइंट कमिटी ऑफ वैक्सिनेशन ऐंड इम्यूनाइजेशन के सदस्य प्रफेसर जेरेमी ब्राउन के मुताबिक आने वाले सालों में अलग-अलग वैक्सीनें मिलानी ही होंगी क्योंकि एक ही वैक्सीन का दोबारा मिलना मुश्किल होगा।