नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुतापूर्ण रिश्ते जगजाहिर हैं, लेकिन शांति व सद्भावना का रास्ता जंग के बाद भी हमेशा खुला रहता है। पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारा जाने के लिए करतारपुर कॉरिडोर बनाने व उसे खोलने से सिख श्रद्धालुओं को काफी सुविधा हुई है। इसी तरह भारत ने पाकिस्तान से पेशकश की है कि दोनों देशों के श्रद्धालुओं के लिए कुछ और धर्मस्थल खोले जाएं।
दोनों देशों के बीच धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कुछ धर्मस्थल की सूची पर पूर्व में सहमति बन चुकी है। भारत ने शुक्रवार को पाकिस्तान से उस पर आगे बढ़ने की पेशकश की। भारत ने पाकिस्तान से मौखिक पेशकश करते हुए कहा कि दोनों देशों के कुछ और धर्मस्थलों की यात्रा के लिए हवाई यात्रा की भी इजाजत दी जाना चाहिए।
सरकार ने कहा कि उसका इस मामले में सकारात्मक दृष्टिकोण है। इस बारे में वह पाकिस्तान की प्रतिक्रिया जानने की इच्छुक है। भारत कुछ और धर्मस्थल श्रद्धालुओं के लिए खोलने के प्रस्ताव को जल्दी मंजूरी चाहता है, क्योंकि इससे उन सिख व हिंदू श्रद्धालुओं को सुविधा होगी, जो पाकिस्तान स्थित धर्मस्थलों की यात्रा करना चाहते हैं।
सिखों के दो धर्मस्थल : पाकिस्तान में सिखों के दो तीर्थ स्थल हैं। इनमें से एक लाहौर से लगभग 75 किलोमीटर दूर ननकाना साहिब है। यह गुरु नानक देवजी का जन्म स्थल है। दूसरा करतारपुर साहिब। करतारपुर साहिब में सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव की याद में गुरुद्वारा बनाया गया है। इतिहास के अनुसार 1522 में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक करतारपुर आए थे। उन्होंने अपनी ज़िंदगी के आखिरी 17-18 साल यहीं बिताए थे। करतारपुर साहिब, पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित है। यह भारत के पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक से तीन से चार किलोमीटर दूर है और करीब लाहौर से 120 किमी दूर।
हिंदुओं के कई मंदिर : पाकिस्तान में हिंदुओं के भी कई मंदिर है। इनमें प्रमुख है हिंगलाज गढ़ शक्तिपीठ। इसके अलावा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के कटास में स्थित कटासराज मंदिर है। वहीं मुल्तान में सूर्य मंदिर है। कहा जाता है कि इसे भगवान कृष्ण के बेटे सांब ने बनाया था। इसी तरह जगन्नाथ मंदिर पंजाब प्रांत के सियालकोट में स्थित है। यह पाकिस्तान के कुछ सबसे पुराने मंदिरों में से एक है।
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