बसंत पंचमी (Basant Panchami) की तिथि का हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान है। आप तो जानतें ही हैं कि बसंत पचंमी का त्यौहार विद्या की देवी माता सरस्वती को समर्पण है और इस माता सरस्वती की जो भी भक्त सच्ची श्रद्वा से पूजा करता है माता सरस्वती की उस व्यक्ति की कृपा होती है । माता सरस्वती की जिस पर कृपा हो जाए उसकी वाणी मधुर हो ज्ञान का भंडार हो जाता है । आपको बता दें कि माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी (Basant Panchami) का त्योहार मनाया जाता है। इस तिथि का विशेष महत्व इसलिए भी हो जाता है क्योंकि, ऋतुराज बसंत की शुरुआत इसी दिन से होती है।
बसंत पंचमी (Basant Panchami) न करें ये काम
-भूलकर भी बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन, काले वस्त्र धारण न करें, क्योंकि ऐसा करना अनिष्ट का द्योतक माना जाता है।
-इस पावन दिन मांसाहार या शराब का सेवन करने से बचें।
-किसी से भी अभद्र व्यवहार या गलत भाषा का प्रयोग न करें।
-किसी भी प्रकार की फसल या पेड़ो की कटाई-छंटाई न करें।
-शिक्षा सामग्री का अनादर न करें ।
बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन करें ये काम
-बसंत पंचमी (Basant Panchami) पर मां सरस्वती (Maa Saraswati) की पूजा जरूर करें।
-इसके साथ ही मां सरस्वती (Maa Saraswati) को कलम अर्पित करें।
-बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन पीले और सफेद वस्त्र ही धारण करें।
– इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें।
-ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन मोती और पुखराज धारण करने से भी व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
-मां सरस्वती (Maa Saraswati) के साथ ही, इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा भी अवश्य करें। इससे सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
-सरस्वती पूजा (Maa Saraswati) के दिन मां सरस्वती (Maa Saraswati) को खीर का प्रसाद अर्पित करना शुभ होता है। माना गया है कि इससे व्यक्ति के ज्ञान में वृद्धि होती है।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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