नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat_ ने बुधवार को कहा कि भारत (India) 5,000 वर्षों से एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र (secular nation) रहा है. उन्होंने लोगों से एकजुट रहने और दुनिया के सामने मानव व्यवहार (human behavior) का सर्वोत्तम उदाहरण पेश करने का आह्वान किया.
आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी आर हरि द्वारा लिखित पुस्तक ‘पृथ्वी सूक्त- एन ओड टू मदर अर्थ’ के विमोचन के लिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने लोगों से अपनी मातृभूमि के प्रति भक्ति, प्रेम और समर्पण रखने की अपील करते हुए कहा, ‘हम मातृभूमि को हमारी राष्ट्रीय एकता का एक अनिवार्य घटक मानते हैं.’
आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘हमारी 5,000 साल पुरानी संस्कृति धर्मनिरपेक्ष है… सभी ‘तत्व ज्ञान’ में, यही निष्कर्ष है. पूरी दुनिया एक परिवार है, यह हमारी भावना है. यह कोई सिद्धांत नहीं है… इसे जानें, महसूस करें और फिर उसके अनुसार व्यवहार करें.’ उन्होंने कहा, ‘देश में बहुत विविधता है. एक-दूसरे से मत लड़ो. अपने देश को दुनिया को यह सिखाने में सक्षम बनाओ कि हम एक हैं.’ उन्होंने कहा, यह भारत के अस्तित्व का एकमात्र उद्देश्य है.
मोहन भागवत ने कहा कि ऋषियों ने विश्व कल्याण के लिए ‘भारत’ का निर्माण किया. उन्होंने एक ऐसा समाज बनाया, जिसने अपना ज्ञान देश के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाया. उन्होंने कहा, ‘वे केवल ‘संन्यासी’ नहीं थे. वे अपने परिवारों के साथ भटकते हुए जीवन जीते थे. ये सभी ‘घूमंतु’ (खानाबदोश) अभी भी वहां हैं, जिन्हें अंग्रेजों ने आपराधिक जनजाति घोषित कर दिया था… उन्हें अक्सर अपनी संस्कृति का प्रदर्शन करते देखा जाता है समाज में, कुछ लोग आयुर्वेदिक ज्ञान साझा करते हैं.’
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