नई दिल्ली । दुनिया में टैरिफ वॉर(Tariff War) शुरू करके उथल-पुथल मचाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति (us President)डोनाल्ड ट्रंप(donald trump) अब घरेलू मोर्चे(The domestic front) पर घिर गए हैं। उनके टैरिफ लगाने के फैसलों के खिलाफ बुधवार को कई दर्जन राज्यों ने यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड में मुकदमा ठोक दिया है। इन राज्यों का आरोप है कि ट्रंप द्वारा जो फैसले लिए गए हैं वह कानूनी अधिकार क्षेत्र के तहत नहीं बल्कि उनकी सनक का परिणाम है, इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अराजकता फैल गई है।
ट्रंप द्वारा मनमाने ढंग से लगाए गए टैरिफ को चुनौती देते हुए राज्यों ने दावा किया कि ट्रंप अंतर्रराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम के आधार पर मनमाने ढंग से टैरिफ नहीं लगा सकते हैं। ऐसे में कोर्ट को ऐसे में कोर्ट को इन फैसलों को अवैध घोषित करके सरकारी एजेंसियों को आदेश देना चाहिए कि वह ऐसा फैसला लागू होने से रोकें।
राज्यों द्वारा किए गए इस मुकदमें पर अभी तक अमेरिकी न्याय विभाग की तरफ से कोई भी जवाब नहीं दिया गया है। ट्रंप के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने वाले राज्यों में मुख्य तौर पर ओरेगन, एरिजोना,कोलोराडो,कनेक्टिकट, डेलावेयर, इलिनोईस, मेन, मिनेसोटा, नेवादा, न्यू मैक्सिको, न्यूयॉर्क और वर्मोंट थे।
एरिजोना की अटॉर्नी जनरल क्रिस मेयस ने ट्रंप के इन फैसलों को पागलपन करार दिया। उन्होंने कहा कि यह न केवल आर्थिक रूप से की गई एक बड़ी लापरवाही है बल्कि यह अवैध भी है।दूसरी तरफ कनेक्टिकट के अटॉर्नी जनरल विलियम टोंग ने कहा कि ट्रंप के अराजक और अव्यवस्थित टैरिफ कनेक्टिकट के लोगों के लिए बहुत बड़ी विपदा है, इससे राज्य के लोगों में असंतोष है और उनकी व्यवसायों और नौकरियों को भी संकट है।
अपने दायर मुकदमें में राज्यों ने कहा कि दूसरे देशों पर टैरिफ लगाने का अधिकार केवल कांग्रेस के पास है। राष्ट्रपति तभी इन शक्तियों का प्रयोग कर सकता है जब कोई विदेशी ताकत असामान्य और असाधारण खतरा सामने रखती हैं।
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