नई दिल्ली । अमेरिका (America)के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump)ने सैकड़ों अप्रवासियों(Hundreds of immigrants) को अल सल्वाडोर (El Salvador)में निर्वासित कर दिया है। ट्रंप प्रशासन का यह फैसला ऐसे समय में हुआ है जबकि अमेरिका की एक संघीय अदालत के जज ने विदेशी दुश्मन कानून अधिनियम के तहत निर्वासन पर अस्थाई रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया था। अदालत के फैसले के बाद हुई इस कार्रवाई का बचाव करते हुए ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि जिस समय अदालत यह फैसला सुना रही थी उस वक्त इन व्यक्तियों को लेकर विमान उड़ान भर चुके थे।
रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज जेम्स ई बोसबर्ग ने शनिवार को निर्वासन पर अस्थाई रूप से रोकने का आदेश जारी कर दिया था। ट्रंप प्रशासन के पक्ष से आए वकीलों ने उन्हें उस वक्त बताया कि अप्रवासियों को लेकर दो विमान पहले ही उड़ान भर चुके हैं। इनमें से एक अल सल्वाडोर जा रहा है, जबकि दूसरा होंडुरास की तरफ जा रहा है।
विमानों के उड़ान भरने के बारे में जानकारी मिलते ही जज ने मौखिक रूप से उन्हें वापस लाने का आदेश दे दिया। लेकिन अब जबकि विमान अल सल्वाडोर और होंडुरास पहुंच चुके हैं तो स्पष्ट है कि अधिकारियों ने उनके मौखिक आदेश को नहीं माना।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने प्रशासन पर लग रहे अदालत के आदेश के उल्लंघन के आरोपों पर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने अदालत का आदेश मानने से इनकार नहीं किया है। हालांकि इस आदेश का कोई वैधानिक आधार नहीं है। जज ने जिस वक्त यह आदेश जारी किया था उस वक्त विमान उड़ान भर चुके थे।
ट्रंप प्रशासन के इस फैसले को लेकर विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी लॉ सेंटर के प्रोफेसर स्टीव व्लाडेक ने कहा कि बोसबर्ग ने जो आदेश जारी किया था उसमें विमानों को वापस लाने का जिक्र नहीं था लेकिन उन्होंने इसे मौखिक रूप से तो कहा ही था। ट्रंप प्रशासन कानूनी रूप से अपने आप को सही ठहरा सकता है लेकिन यह तो पक्का है कि उन्होंने जज के फैसले की भावना का उल्लंघन किया है।
व्लाडेक ने कहा कि इस घटना के बाद यह होगा की अदालते अपने आगामी आदेशों में और अधिक स्पष्ट होंगी और सरकार को कोी भी छूट देने के पहले सोचेंगीं।
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