
नई दिल्ली । डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने टैरिफ (Tariff) पर एक और यू-टर्न लिया है। ट्रंप प्रशासन ने घरेलू कार निर्माताओं (Domestic car manufacturers) को राहत देते हुए ऑटोमोबाइल सेक्टर (Automobile Sector) पर लगने वाले आयात शुल्क (टैरिफ) के प्रभाव को कम करने का फैसला किया है। इसके तहत विदेशी पार्ट्स पर लगने वाले शुल्क घटाए जाएंगे और आयातित कारों पर एक साथ कई टैरिफ नहीं लगेंगे। वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक ने कहा कि यह कदम “अमेरिकी उद्योग और कर्मचारियों के लिए बड़ी जीत” है।
ट्रंप का पहले ये था प्लान?
ट्रंप ने पहले 3 मई तक ऑटो पार्ट्स पर 25% टैरिफ लगाने की योजना बनाई थी, लेकिन उद्योग के विरोध के बाद अब नए नियमों में ढील दी गई है। हालांकि, ट्रंप का कहना है कि यह कदम “अमेरिकी नौकरियों को बचाने और विदेशी कंपनियों पर दबाव बनाने” के लिए जरूरी है।
क्या है नई योजना?
रॉयटर्स के मुताबिक नई योजना के तहत घरेलू कार निर्माण में इस्तेमाल होने वाले विदेशी पार्ट्स पर शुल्क कम किए जाएंगे। आयातित कारों पर एक से ज्यादा टैरिफ नहीं लगेंगे, ताकि उनकी कीमतें न बढ़ें। लटनिक के मुताबिक, यह नीति उन कंपनियों को फायदा देगी जो अमेरिका में निवेश और उत्पादन बढ़ाएंगी।
यह खबर सबसे पहले वॉल स्ट्रीट जर्नल ने दी थी। ट्रंप के मिशिगन दौरे से पहले यह राहत मिलने की उम्मीद थी, क्योंकि मिशिगन डेट्रॉइट की बड़ी ऑटो कंपनियों और 1,000 से ज्यादा सप्लायर्स का गढ़ है।
क्यों उठाई थी कंपनियों ने आवाज?
पिछले हफ्ते, जीएम, टोयोटा, वोक्सवैगन, हुंडाई समेत कई कंपनियों के संगठनों ने ट्रंप को चेतावनी भरा पत्र भेजा था। उन्होंने कहा था कि 25% का टैरिफ लगने से कारों की कीमतें बढ़ेंगी और बिक्री घटेगी। ग्लोबल सप्लाई चेन बाधित होगी, जिससे उत्पादन रुक सकता है और छोटे सप्लायर्स दिवालिया हो सकते हैं, जिससे बेरोजगारी बढ़ेगी।
इस पत्र को अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि, वित्त सचिव और वाणिज्य सचिव को भेजा गया था। कंपनियों ने दबाव बनाया कि टैरिफ लागू होने से पहले उद्योग को “समय चाहिए”।
क्या होगा असर?
विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ कम होने से कार निर्माताओं को उत्पादन लागत में कमी मिलेगी। ग्राहकों को कारों की कीमतें स्थिर रखने में मदद मिलेगी। हालांकि, कुछ लोगों को डर है कि इससे अमेरिकी सरकार का “चाइना पर निर्भरता कम करने” का लक्ष्य प्रभावित हो सकता है।
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