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    40 फीसदी तक घट गया शहर में घरेलू-व्यवसायिक कचरा

  • April 22, 2021

    कोरोना कफ्र्यू का असर… बायो मेडिकल वेस्ट अवश्य कई गुना बढ़ गया
    कब्रिस्तान-श्मशानों में भी लगातार बढ़ रहा है संक्रमित कचरा, निगम उठवाने का कर रहा इंतजाम
    इंदौर।  अभी बीते 10 दिनों से कोरोना कफ्र्यू (Corona Curfew) चल रहा है, जिसके चलते 80 फीसदी से अधिक व्यवसायिक गतिविधियां बंद पड़ी है। सिर्फ राशन, मेडिकल, सब्जी, फल और आवश्यक सेवाओं की दुकानें ही चलती रही। वहीं कल से जनता कफ्र्यू ( janta curfew) में भी सख्ती और कर दी गई है, जिसके चलते घरेलू-व्यवसायिक कचरा भी 40 फीसदी तक घट गया है। इसकी शुरुआत मार्च से ही होने लगी थी और अब अप्रैल में तो और भी कमी आ गई है, लेकिन दूसरी तरफ बायो मेडिकल वेस्ट (medical vest) अवश्य लगातार बढ़ रहा है। 7000 किलो से अधिक बायो मेडिकल वेस्ट (bio medical vest) निकल रहा है, क्योंकि शहर के सभी छोटे-बड़े अस्पतालों में कोरोना मरीजों का इलाज चल रहा है, तो 10 हजार से अधिक मरीज होम आइसोलेशन में हैं।


    अभी शहर के सभी व्यवसायिक बाजार, खान-पान के ठिये बंद हैं, क्योंकि कोरोना संक्रमण ( corona infection) बढऩे के चलते शासन-प्रशासन ने अधिकांश गतिविधियों पर रोक लगा दी है। अभी जनता कफ्र्यू ( janta curfew) का भी सख्ती से पालन कराया गया है और होटल, रेस्टोरेंट से लेकर होम डिलीवरी ( home delivery) भी बंद हो गई। वहीं नगर निगम (municipal Corporation)
    गीला-सूखा व अन्य कचरा अलग-अलग एकत्रित करता है। घरों, दुकानों और अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से निगम की कचरा गाडिय़ां सुबह-शाम कचरा लेती है। अभी घरों से तो कचरा हालांकि उतना ही निकल रहा है, लेकिन चूंकि शहर की अधिकांश दुकानें-बाजार बंद है, लिहाजा वहां का कचरा नहीं हो रहा है। नगर निगम पहले 1100 मैट्रिक टन से अधिक कचरा उठाता था, जिसमें 50 मैट्रिक टन सूखा और 450 मैट्रिक टन गीला कचरा शामिल रहता है। मार्च तक निगम को इतना कचरा मिल रहा था, उसके बाद इसमें कमी आने लगी और अभी अप्रैल में तो सूखा कचरा 400 मैट्रिक टन और गीला कचरा 300 मैट्रिक टन तक रह गया। यानी 1100 मैट्रिक टन की बजाय अभी लगभग 7000 मैट्रिक टन गीला और सूखा कचरा ही शहर में निकल रहा है। यानी 400 मैट्रिक टन से अधिक कचरा कम हो गया। लेकिन दूसरी तरफ बायो मेडिकल वेस्ट अवश्य लगातार बढ़ रहा है, क्योंकि अब अधिकांश लोग मास्क लगाने लगे, तो इसके कचरे के अलावा हैंड ग्लब्स, पीपीई किट, सैनेटाइजर बोतलों से लेकर अन्य सामग्री बढऩे लगी है। कब्रिस्तानों से लेकर श्मशान घाटों में भी बड़ी संख्या में शव लगातार पहुंच रहे हैं, उसके कारण भी यहां का मेडिकल वेस्ट भी बढ़ गया है, क्योंकि पीपीई किट पहनकर ही अंतिम संस्कार कराया जाता है। लगभग 7000 किलो से अधिक बायो मेडिकल वेस्ट निकल रहा है, जिसका निपटान नगर निगम द्वारा निजी संस्थान से कराया जा रहा है। गत वर्ष जहां शहर में दो टन यानी 2000 किलो तक बायो मेडिकल वेस्ट निकलता था, लेकिन इस बार चूंकि मरीजों की संख्या कई गुना अधिक बढ़ गई है तो यह आंकड़ा चार गुना तक हो गया है। अभी 10 हजार से अधिक कोरोना मरीज होम आइसोलेशन में तो शहर के सभी छोटे-बड़े अस्पतालों में भी हजारों मरीजों का इलाज चल रहा है, जिसके चलते दवाइयां, इंजेक्शन, पीपीई किट , मास्क सहित अन्य तरह का कचरा बढ़ गया।

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