डेस्क: 7 दिनों की तेजी के बाद रुपए ने भले ही करेंसी मार्केट को अपने होने का अहसाब कराया हो, लेकिन मंगलवार को डॉलर ने अपनी असली ताकत को दिखाया. जिसके बाद रुपए में महीने की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली. कारोबारी सत्र के दौरान डॉलर के मुकाबले में रुपया 23 पैसे की गिरावट के साथ कारोबार करता हुआ दिखाई दिया. जानकारों की मानें तो इंपोर्टर्स की ओर से डॉलर की जबरदस्त डिमांड के कारण रुपए में गिरावट देखने को मिली है. वैसे शेयर बाजार और विदेशी निवेशकों की ओर से रुपए को लोअर लेवल पर सपोर्ट मिलता हुआ दिखाई दे रहा है. उसके बाद भी लिक्विडिटी में कमी और अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ रुपए के सामने बड़ी चुनौती बनकर खड़े हुए हैं.
इससे पहले घरेलू करेंसी मार्केट में रुपए में बीते 7 दिनों में अच्छी तेजी देखने को मिली है. डॉलर के सामने रुपया डेढ़ फीसदी से ज्यादा की तेजी देखी गई है. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि रुपए में आई जबरदस्त रिकवरी आने वाले दिनों में जारी रह सकती है. लेकिन बीच-बीच इस तरह की रुकावटें भी रुपए के सामने आती रहेंगी. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर करेंसी मार्केट में डॉलर के सामने रुपया किस लेवल पर कारोबार करता हुआ दिखाई दे रहा है.
मंगलवार को शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 23 पैसे कमजोर होकर 85.84 पर आ गया, जिसका मुख्य कारण आयातकों की ओर से महीने के अंत में अमेरिकी करेंसी की डिमांड है. विदेशी मुद्रा डीलरों ने कहा कि सकारात्मक घरेलू इक्विटी और विदेशी फंड प्रवाह ने निचले स्तरों पर रुपये को सहारा दिया. हालांकि, स्थानीय इकाई के लिए प्रमुख चुनौतियां बनी हुई हैं, जिनमें तरलता की कमी और पारस्परिक शुल्क कार्यान्वयन पर चिंताएं शामिल हैं.
इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में, रुपया डॉलर के मुकाबले 85.59 पर खुला, फिर नीचे गिर गया और 85.84 पर पहुंच गया, जो पिछले बंद से 23 पैसे कम है. सोमवार को, रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 37 पैसे बढ़कर 85.61 पर बंद हुआ, जिसने 2025 में अपने सभी नुकसानों को मिटा दिया. घरेलू इकाई ने पिछले सात कारोबारी सत्रों में 154 पैसे जोड़े हैं.
इस बीच, छह मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत को मापने वाला अमेरिकी डॉलर सूचकांक 0.05 प्रतिशत बढ़कर 104.31 पर कारोबार कर रहा था. वैसे डॉलर इंडेक्स में बीते कुछ दिनों में अच्छी तेजी देखने को मिली है. आंकड़ों के अनुसार बीते एक हफ्ते में डॉलर इंडेक्स में एक फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. जबकि एक महीने में डॉलर इंडेक्स में करीब दो फीसदी और बीते 3 महीने में साड़े तीन फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. खास बात तो ये है कि मौजूदा साल में डॉलर इंडेक्स करीब 4 फीसदी नीचे आ चुका है. आंकड़ों के अनुसार डॉलर इंडेक्स मौजूदा समय में करीब एक साल के लोअर लेवल पर मौजुद है. वहीं दूसरी ओर इंटरनेशनल मार्केट में खाड़ी देशों का कच्चा तेल फ्लैट 73.01 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था.
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के कार्यकारी निदेशक और ट्रेजरी प्रमुख अनिल कुमार भंसाली ने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा फिर से खरीद मोड में आने के साथ शेयर बाजारों में तेजी ने भी रुपए में तेजी का कारण बना है. भंसाली ने कहा कि जैसे-जैसे हम महीने के अंत के करीब पहुंच रहे हैं, महीने के अंत की स्थिति के कारण रुपए में तेज गिरावट आ सकती है, जब तक कि भारतीय रिजर्व बैंक के पास कोई अन्य योजना न हो.
उन्होंने कहा कि निर्यातक हेजिंग के लिए बेहतर स्तरों की प्रतीक्षा कर रहे हैं. हालांकि, अगर 85.50 निर्णायक रूप से टूटता है तो शायद हम 84.75 के करीब पहुंच रहे हैं. घरेलू शेयर बाजार में 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 683.76 अंक यानी 0.88 प्रतिशत बढ़कर 78,668.14 अंक पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 185.90 अंक यानी 0.79 प्रतिशत बढ़कर 23,844.25 अंक पर था. एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने सोमवार को शुद्ध आधार पर 3,055.76 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी खरीदी.
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