कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) कहा जाता है। इसे प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जानते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन से ही चतुर्मास समाप्त हो रहे हैं और शुभ व मांगलिक कार्य शुरू होंगे। शास्त्रों के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दिन ही सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु चार महीने बाद योग निद्रा से जागते हैं। इस दिन भगवान शालीग्राम और माता तुलसी का विवाह कराया जाता है। इस साल देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह 14 नवंबर को है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, एकादशी तिथि 15 नवंबर को भी पहुंच रही है। ऐसे में तुलसी विवाह 15 नवंबर को भी कराया जा सकेगा। एकादशी तिथि भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित होती है। ऐसे में इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना (worship) की जाती है। देवउठनी एकादशी के दिन कुछ नियमों (rules) का पालन करना भी अनिवार्य होता है। मान्यता है कि ऐसा न करने पर व्यक्ति पाप का भागीदार बनता है। जानिए देवउठनी एकादशी के दिन क्या करें और क्या नहीं-
1. तुलसी के पत्ते न तोड़े-
देवउठनी एकादशी के दिन प्रभु शालीग्राम और माता तुलसी का विवाह (mata tulsi marriage) कराया जाता है। ऐसे में इस दिन भूलकर भी तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए।
2. तामसिक चीजों का सेवन न करें-
एकादशी के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए। अगर आप व्रत नहीं रख रहे हैं तो इस दिन साधारण भोजन करना चाहिए। इस दिन मांस-मदिरा (meat and wine) आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
3. चावल का सेवन न करें-
एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि चावल का सेवन करने से व्यक्ति अगले जन्म में रेंगने वाले जीव की योनि पाता है।
4. वाद-विवाद से बचें-
एकादशी तिथि के दिन वाद-विवाद से बचना चाहिए। इस दिन लड़ाई-झगड़ा करने से मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) नाराज हो सकती हैं।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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