लखनऊ। हाथरस कांड की जांच सीबीआई करेगी या नहीं, इसको लेकर संशय बना हुआ है। यूपी सरकार की ओर से भेजे गए जांच के प्रस्ताव को पांच दिन हो गए हैं। अब तक सीबीआई की तरफ से जांच को लेकर कोई उत्तर नहीं मिला है। इस मामले में सीबीआई की इस शिथिलता ने अब कई सवाल खड़े करना शुरू कर दिया है।
प्रस्ताव भेजे जाने के बावजूद न तो सीबीआई ने अब तक इस मामले की एफआईआर दर्ज की और न ही सीबीआई के अधिकारियों ने अब तक स्थानीय पुलिस से घटना से संबंधित दस्तावेज तलब किए। हालांकि, शासन के उच्चस्तरीय सूत्रों का कहना है कि सीबीआई के रुख का इंतजार कर रहे हैं। 12 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में हाथरस कांड को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई होनी है।
शासन ने बनाई है एसआईटी
हाथरस कांड में शासन ने पहले तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी की प्राथमिक रिपोर्ट के आधार पर हाथरस के तत्कालीन एसपी सहित पांच पुलिस वालों को निलंबित कर दिया था। शनिवार को सीएम ने अपर मुख्य सचिव और डीजीपी को मौके पर भेजा।
यूपी सरकार ने सीबीआई से की थी सिफारिश
पीड़ित परिवार ने दोनों अफसरों से मामले की जांच सीबीआई से कराने का अनुरोध किया, जिस पर सीएम ने उसी दिन घटना की जांच सीबीआई से कराए जाने की संस्तुति कर दी। सीबीआई जांच की संस्तुति किए जाने की जानकारी देते हुए अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया था कि सीबीआई जांच से संबंधित सारी औपचारिकताएं उसी दिन पूरी कर दी गई थीं।
एसआईटी जांच में जुटी
एक ओर जहां सीबीआई ने पांच दिन बाद भी जांच को लेकर कोई जवाब नहीं दिया। वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार द्वारा मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी को दस दिन का समय और दिया जाना, असमंजस और बढ़ा दिया है। एसआईटी ने गुरुवार को पीड़िता के गांव के चालीस लोगों को नोटिस जारी कर उन्हें पूछताछ के लिए हाथरस पुलिस लाइंस बुलाया और उनके बयान दर्ज किए। इनमें गांव के वह लोग भी शामिल हैं, जो घटना के समय घटना स्थल के आस-पास अपने खेतों पर काम कर रहे थे या फिर अंत्येष्टि के समय मौके पर मौजूद थे।
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