अभी मेडिको लीगल केसों के साथ पोस्टमार्टम के कई प्रकरणों में गवाही देने के लिए बार-बार अदालतों के लगाना पड़ते हैं चक्कर, अब ई-कोट्र्स प्रोजेक्ट में शामिल की नई सुविधा
इंदौर। हाईकोर्ट की पहल पर जहां इंदौर में ही जयपुर फुट बनाने का स्थायी सेंटर एमवाय में शुरू किया गया, वहीं ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के तहत होने वाली वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से अब चिकित्सकों को भी साक्ष्य अंकित कराने की सुविधा दी जाएगी, जिससे मेडिको लीगल केसों के साथ-साथ पोस्टमार्टम प्रकरणों में चल रहे आपराधिक प्रकरणों में साक्ष्य देने के लिए बार-बार अदालतों के चक्कर नहीं काटना पड़ेंगे। इंदौर से बाहर भी साक्ष्य के लिए चिकित्सकों को जाना पड़ता है, मगर अब ऑनलाइन वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए ही न्यायालयीन साक्ष्य अंकित कराए जा सकेंगे।
वीडियो कान्फ्रेंसिंग डिस्टेंस पाइंट के संबंध में जानकारी देते हुए जिला न्यायाधीश एवं जिला व सत्र न्यायालय इंदौर के कम्प्यूटर अनुभाग के प्रभारी गंगाचरण दुबे ने बताया कि मुख्य न्यायाधिपति मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की पहल पर ई-कोर्ट परियोजना के अंतर्गत जेलों, पुलिस स्टेशनों के इंटीग्रेशन के बाद सभी चिकित्सालयों को न्यायालयों से संबद्ध किए जाने का कार्य चल रहा है। अभी पहली बार वीसी डिस्टेंस पाइंट को मान्यता प्रदान कर उसे लोकार्पित किया गया है, जिसके चलते एमएलसी यानी मेडिको लीगल केसेस, जिनमें मरीजों का चिकित्सकीय परीक्षण इंदौर के चिकित्सालयों में हुआ या मृत्यु उपरांत शव परीक्षण प्रतिवेदन किसी चिकित्सक द्वारा निर्मित किया गया, तो उस संबंध में चिकित्सकीय साक्ष्य की आवश्यकता होने पर किसी भी न्यायालय में चल रहे आपराधिक प्रकरण में संबंधित चिकित्सक को साक्ष्य देने न्यायालय तक यात्रा पर नहीं जाना होगा, बल्कि वे वीडियो कान्फ्रेंसिंग पाइंट से ही अपनी न्यायालयीन साक्ष्य अंकित करा सकेंगे। इस सुविधा से चिकित्सकों की साक्ष्य अभाव से लम्बित प्रकरण का विलंब भी समाप्त होगा और वे जल्द ही विचारण के लिए भी सुनिश्चित हो सकेंगे। इससे चिकित्सकों को तो राहत मिलेगी ही, वहीं संबंधित परिजनों-अभिभाषकों की भी मदद होगी।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved