वर्धा: वर्धा जिले के अरवी शहर में पुलिस के सामने एक दिल दहलाने वाला मामला आया है. पुलिस को एक अस्पताल के प्रांगण में भ्रूण (Skulls bones of foetuses) की 12 खोपड़ी और 54 हड्डियां दफन मिली हैं. मामला तब सामने आया जब एक 13 साल की लड़की के गर्भपात के कथित आरोप की जांच के चलते पुलिस अस्पताल पहुंची थी. पुलिस ने एक परिवार द्वारा संचालित इस अस्पताल के स्त्री रोग विशेषज्ञ पति-पत्नी को गिरफ्तार कर लिया है.
9 जनवरी को 13 वर्षीय लड़की की मां ने डॉ. रेखा कदम के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की.जिसमें डॉ. कदम पर लड़की के 5 महीने के गर्भ को गिराने का आरोप लगाया था. शिकायत के आधार पर पुलिस ने डॉक्टर को गिरफ्तार किया और बाद में जब कदम अस्पताल के प्रांगण की तलाशी ली गई तो वहां भ्रूण की 12 खोपड़ी, और 54 हड्डियां दफन पाई गईं. इसके बाद पुलिस ने रेखा के पति डॉ. नीरज को भी हिरासत में ले लिया था. कदम अस्पताल नीरज के पिता का है औऱ उनकी मां भी एक स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं.
आरोपी से अब तक क्या जानकारी मिली
दोनों डॉक्टरों ने पुलिस को बताया कि किसी वजह से बायो मेडिकल कचरे का निपटान करने वाली एजेंसी कुछ महीनों से अस्पताल नहीं आ रही थी. इसी वजह से अस्पताल में जो वैध तरीके से गर्भपात कराए गए थे उनके भ्रूणों को अस्पताल प्रांगण में दफना दिया गया था. पुलिस इस बयान की सच्चाई की जांच कर रही है औऱ यह पता करने में लगी हुई है कि कहीं यह मामला अवैध गर्भपात या कन्या भ्रूण हत्या से जुड़ा हुआ तो नहीं है. पुलिस को अब अपने जवाबों के लिए डीएनए टेस्ट पर ही भरोसा है.
फोरेंसिक जांच से कैसे मिलेगी मदद
नागपुर फोरेंसिक प्रयोगशाला से एक दल अस्पताल पहुंचा औऱ वहां से हड्डियों और खोपड़ी को बरामद करके पुलिस को सौंप दिया था. अब पुलिस इसे दोबारा फोरेंसिक प्रयोगशाला भेजेगी जहां पर खोपड़ी की डीएनए जांच की जाएगी. इंडियन एक्स्प्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक एक अधिकारी का कहना है कि खोपड़ी की डीएनए जांच के बाद भ्रूण के लिंग का पता चल सकेगा, अगर सारे भ्रूण लड़की के निकलते हैं तो मामला कन्या भ्रूण हत्या का हो सकता है. इसके साथ ही अस्पताल जिन वैध गर्भपात का बयान दे रहा है, उन महिलाओं का भी डीएनए सैंपल लिया जाएगा जिससे इस बात की पुष्टि हो सके कि अस्पताल के बयान में कितनी सच्चाई है.
बायोमेडिकल कचरे के निपटान का कानून क्या कहता है
जैसा कि कदम अस्पताल के गिरफ्तार डॉक्टर ने पुलिस को बताया था कि हर दूसरे दिन एक एजेंसी अस्पताल से कचरा इकट्ठा करती है. यह प्रक्रिया बायो मेडिकल कचरा प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2019 में संशोधन के बाद सामने आई.
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