नई दिल्ली. स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) के सूत्रों ने केंद्रीय संरक्षण अधिनियम (CPA) को लेकर चल रहे विवाद पर स्पष्ट किया है कि इस अधिनियम (Act) को लागू करना व्यावहारिक रूप से लाभकारी नहीं होगा. सूत्रों के अनुसार, बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर अपराध केंद्रीय संरक्षण अधिनियम के दायरे में नहीं आते हैं. ऐसे मामले भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nayay Sanhita) के तहत आते हैं, जिनमें इन अपराधों के लिए पहले से ही काफी सख्त प्रावधान शामिल हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “केंद्रीय संरक्षण अधिनियम का उद्देश्य डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को हिंसा और हमलों से सुरक्षा प्रदान करना है, लेकिन यह बलात्कार और हत्या जैसे अपराधों को कवर नहीं करता. इस मुद्दे पर चल रहा विरोध प्रदर्शन समय की बर्बादी है. हम डॉक्टरों से अपील करते हैं कि वे अपना विरोध समाप्त कर जल्द से जल्द काम पर लौट आएं.”
अस्पतालों की सुरक्षा को लेकर भी स्वास्थ्य मंत्रालय ने महत्वपूर्ण कदम उठाने की घोषणा की है. मंत्रालय ने कहा है कि देश भर के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को 25 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा, ताकि डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को सुरक्षित वातावरण मिल सके. इसके अलावा, अस्पतालों को ‘सेफ जोन’ घोषित करने की मांग पर मंत्रालय ने अपना रुख स्पष्ट किया. एक अधिकारी ने कहा, “अस्पतालों को ‘सेफ जोन’ घोषित करने का फैसला संबंधित अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षक (MS) पर निर्भर करेगा. इस मामले में स्वास्थ्य मंत्रालय का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा.”
अधिकारियों का मानना है कि केंद्रीय संरक्षण अधिनियम के लिए अलग से कानून बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है. उनका कहना है कि मौजूदा कानून और सुरक्षा उपाय पर्याप्त हैं, और डॉक्टरों को इस मुद्दे पर आगे बढ़ने की सलाह दी गई है. मंत्रालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि डॉक्टरों को वर्तमान सुरक्षा उपायों पर भरोसा करना चाहिए और अपने कार्यों को सुचारू रूप से जारी रखना चाहिए. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि अस्पतालों की सुरक्षा को और भी बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम किया जाएगा.
अस्पतालों की सुरक्षा को लेकर उठे सवालों के जवाब में, मंत्रालय ने आश्वासन दिया है कि देश भर के सभी अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को 25 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा. यह कदम डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है.
अस्पतालों को ‘सेफ जोन’ घोषित करने की मांग पर भी स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है. मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि अस्पतालों को ‘सेफ जोन’ घोषित करने का फैसला संबंधित चिकित्सा अधीक्षक (MS) द्वारा लिया जा सकता है. इस मामले में मंत्रालय की कोई भूमिका नहीं होगी. इस बीच, देश भर के डॉक्टर CPA की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय की इस प्रतिक्रिया के बाद यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि डॉक्टरों का अगला कदम क्या होगा और क्या वे अपने विरोध को समाप्त कर कार्य पर वापस लौटेंगे.
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