भोपाल। प्रदेश डॉक्टरों की कमी से दो दशक से जूझ रहा है। कोरोना काल में डॉक्टरों की कमी ज्यादा महसूस की गई। कोरोना की दूसरी लहर के बाद सरकार ने डॉक्टरों की भर्ती की तैयार कर ली थी, लेकिन फाइल मंत्रालय में दबी रही। कोरोना की दूसरी लहर खत्म होने के बाद डॉक्टरों की भर्ती पर न तो मंत्रालय ने ध्यान दिया और न ही मंत्रियों ने इसमें रुचि दिखाई। अब जब तीसरी लहर आ गई है तो फिर सरकार को डॉक्टरों की कमी का संकट दिखा है। मुख्यमंत्री द्वारा की जा रही स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा में यह जानकारी सामने आई कि डॉक्टरों की भर्ती की फाइल 4 महीने से दबी हैं। इस पर कोई निर्णय ही नहीं लिया गया। स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा में विभागीय मंत्री प्रभुराम चौधरी ने बताया कि विशेषज्ञ डॉक्टरों की भर्ती जल्द की जानी है, लेकिन इसके लिए फाइल बीते चार महीने से चल रही है। मंत्री ने कहा कि जल्द भर्ती करने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए नया प्रस्ताव लाया जा रहा है। जल्द ही सभी जिला अस्पतालों को एक्सपर्ट डॉक्टर्स मिल सकेंगे। शिवराज ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। डॉक्टर्स की नियुक्ति जल्द होनी चाहिए।
प्रदेश को तत्काल चाहिए 4 हजार डॉक्टर
प्रदेश में करीब 4 हजार मेडिकल ऑफिसर व विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। मुख्यमंत्री शिवराज ने सभी जिलों के अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थाओं को सुविधा संपन्न बनाने के निर्देश दिए हैं। शिवराज ने कहा कि हेल्थ एंड वेलनेस केयर सेंटर्स में 63 प्रकार की जांच उपलब्ध हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में मरीजों को प्राइवेट सेंटर्स पर जांच करानी पड़ रही हैं। इसलिए आमजन को इस बारे में जानकारी पहुंचाई जाए। जिससे उन्हें प्राइवेट अस्पतालों न जाना पड़े।
अच्छा कार्य करने वालों का सम्मान करें
मुख्यमंत्री ने कहा है कि अच्छे कार्य करने वालों की प्रदेश में कोई कमी नहीं है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि मैं जब पढ़ता था, तब अस्वस्थ होने पर हमीदिया अस्पताल में गया, जहाँ मुझे डॉक्टर एच.एस. त्रिवेदी ने देखा। अस्पताल की दूरी अधिक होने के कारण मैं अगली बार उनके निवास पर ही उपचार के लिए गया। उन्होंने वहाँ कोई फीस नहीं ली और हाथ जोड़कर कहा कि मैंने आपको हमीदिया अस्पताल में देखा था, मैं फीस नहीं ले सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि नैतिकता का उदाहरण प्रस्तुत करने वाले ऐसे डॉक्टरों की कमी नहीं है, उन्हें सम्मानित और प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
मेडिकल कॉलेज में पीजी सीट बढ़ाई जायें
मुख्यमंत्री ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में पीजी सीट बढ़ाई जायें। चिकित्सालय की क्षमता में वृद्धि की जाये। इसके मापदंड तय करें। चिकित्सा महाविद्यालयों में न्यूनतम जरूरी सभी सुविधाएँ उपलब्ध रहें। सोनोग्राफी मशीन शासकीय अस्पतालों में संचालित हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि फीस कमेटी की अवधारणा तैयार कर मापदण्ड तय करें। बताया गया कि वर्ष 2025 तक मेडिकल कॉलेजों में लगभग 3250 सीट्स करने का लक्ष्य है। पीजी की सीट्स भी 1281 तक बढ़ाई जायेंगी। वर्ष 2025 तक मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में 18 हजार 887 बिस्तर बढ़ाये जायेंगे।
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