नई दिल्ली(New Delhi) । पुणे(Pune) के बहुचर्चित पोर्श कांड (The much talked about Porsche scandal)में सोमवार को सासून जनरल अस्पताल के दो डॉक्टरों (Doctors)और अस्पताल के एक कर्मचारी को गिरफ्तार(employee arrested) किया गया था। पुलिस रिमांड(Police remand) पर लेकर उनसे पूछताछ की तैयारी(Preparing for interrogation) रही है। गिरफ्तारी के अगले दिन पुलिस ने कहा कि अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ अजय तावरे ने नाबालिग के सैंपल संग्रह के दौरान करीब दो घंटों में नाबालिग के पिता के साथ 14 बार फोन पर बात किया था। आपको बता दें कि दोनों डॉक्टरों को ब्लड सैंपल बदलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने रिमांड की मांग करते हुए कोर्ट को इसकी जानकारी दी है।
पुलिस ने एक स्थानीय अदालत को बताया कि उन्हें पता चला है कि आरोपियों ने नाबालिग के ब्लड सैंपल को बदलने के लिए रिश्वत ली थी। पुलिस जांच के अनुसार, नाबालिग के नमूने को कूड़ेदान में फेंक दिया गया था। शराब की मौजूदगी का पता लगाने के लिए उसकी जगह किसी अन्य व्यक्ति के रक्त के नमूने को जांच के लिए भेजा गया था। पुलिस ने डॉ तावरे के साथ-साथ कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर डॉ श्रीहरि हल्नोर और अस्पताल के मुर्दाघर में काम करने वाले अतुल घाटकांबले के परिसरों की तलाशी ली। उन्होंने डॉ. हलनोर से 2.5 लाख रुपये और घाटकांबले से 50,000 रुपये बरामद किए।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “जांच का मुख्य फोकस अब डॉ. तावरे के वित्तीय लेन-देन पर है। उन्हें कितना पैसा मिला या कितने का वादा किया गया था। किसने पैसे देने की बात कही थी। इसकी जांच की जा रही है। हमारी जांच में पता चला है कि सैंपल बदलने और जांच में छेड़छाड़ करने का विचार डॉ. तावरे का था।” आपको बता दें कि मंगलवार की शाम को पुलिस ने पुणे कैंप इलाके में डॉ. तावरे के आवास पर और तलाशी ली।
एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा, “नाबालिग का ब्लड सैंपल 19 मई को सुबह 11 बजे के आसपास ससून अस्पताल में एकत्र किया गया था। कॉल डिटेल रिकॉर्ड के विश्लेषण से पता चलता है कि उससे दो घंटे पहले डॉ. तावरे और नाबालिग के पिता के बीच फोन पर करीब 14 बार बात हुई। ये कॉल व्हाट्सएप, फेसटाइम और सेलुलर कनेक्शन पर भी किए गए थे। हम इस बात का भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर किसने डॉक्टर और नाबालिग आरोपी के पिता के बीच मध्यस्थता की थी।”
आपको बता दें कि ब्लड सैंपल के बारे में तब पता चला जब पुलिस ने औंध के जिला अस्पताल में नाबालिग से दूसरी बार सैंपल एकत्र किया था। पुलिस को खुफिया जानकारी मिली थी कि ससून अस्पताल के सैंपल के साथ छेड़छाड़ की कोशिश हो सकती है। दोनों सैंपल 20 मई को फोरेंसिक टीम को भेजे गए थे। इसके एक दिन बाद नाबालिग के पिता को गिरफ्तार कर लिया गया और उनका सैंपल भी डीएनए टेस्ट के लिए भेजा गया।
नाबालिग के दूसरे सैंपल में शराब की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने इसका कारण दुर्घटना और सैंपल इकट्ठा करने के बीच 20 घंटे की देरी को बताया।
आपको बता दें कि 19 मई को सुबह-सुबह घटना हुई थी। अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौत हो गई थी। नाबालिग के खिलाफ सुबह 8 बजे यरवदा पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई। इसके बाद उसे ससून अस्पताल ले जाया गया, जहां सुबह 11 बजे उसका ब्लड सैंपल लिया गया। दूसरा नमूना शाम 6 बजे के आसपास लिया गया। ससून अस्पताल के तीनों कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पुलिस राज्य सरकार से दो अलग-अलग मंजूरी लेने की प्रक्रिया में है।
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