कालाष्टमी आज और कल है. हालांकि उदया तिथि कल यानि कि 6 मार्च को है ऐसे में व्रत कल ही रखा जाएगा. कालाष्टमी के दिन भक्त भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना करते हैं और उनके प्रसन्न करने के लिए कवच का पाठ करते हैं और दान इत्यादि करते हैं.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, काल भैरव भगवान शिव का ही अंश हैं. ऐसा माना जाता है कि कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा अर्चना करने से जीवन में आने वाली बाधाओं का नाश हो जाता है और जातक सुखी और निरोगी रहता है. कालभैरव को प्रसन्न करने के लिए कवच एवं ये काम आप कर सकते हैं…
काल भैरव कवच :
ॐ सहस्त्रारे महाचक्रे कर्पूरधवले गुरुः ।
पातु मां बटुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु ॥
पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा ।
आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः ॥
नैॠत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे ।
वायव्यां मां कपाली च नित्यं पायात् सुरेश्वरः ॥
भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा ।
संहार भैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः ॥
ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः ।
सद्योजातस्तु मां पायात् सर्वतो देवसेवितः ॥
रामदेवो वनान्ते च वने घोरस्तथावतु ।
जले तत्पुरुषः पातु स्थले ईशान एव च ॥
डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभुः ।
हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः ॥
पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः ।
मालिनी पुत्रकः पातु पशूनश्वान् गंजास्तथा ॥
महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा ।
वाद्यम् वाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा ॥
काल भैरव को प्रसन्न करने के उपाय :
1. काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए काल भैरव अष्टमी के दिन पापड़, पूड़ी पुए और पकौड़े भगवान को भोग लगाएं. इसके बाद अगले दिन इन्हें गरीब और जरूरतमंद लोगों में बांट दें. ऐसा करने से आपके ऊपर भगवान काल भैरव की विशेष कृपा बनी रहेगी.
2. काल भैरव अष्टमी के दिन साधक को भगवान काल भैरव के मंदिर में उनकी आरती करनी चाहिए और साथ ही पीले रंग की पताका भगवान को अर्पित करनी चाहिए.
3.काल भैरव अष्टमी के दिन बाबा भैरव नाथ को जलेबी का भोग लगाएं. इसके बाद बची हुई जलेबी किसी काले कुत्ते को खिला दें. कुत्ता बाबा भैरव नाथ की सवारी माना जाता है. अतः बाबा भैरवनाथ को कुत्ता अतिप्रिय होता है.
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