नई दिल्ली। 10 जून यानी आज निर्जला एकादशी मनाई जा रही है। सालभर की सभी एकादशियों में से निर्जला एकादशी का खास महत्व होता है। निर्जला एकादशी के व्रत के दौरान ना कुछ खाया जाता है और ना ही कुछ पीना होता है। निर्जला एकादशी का व्रत सबसे ज्यादा कठिन माना जाता है. अगर आप सालभर में आने वाली 24 एकादशियों का व्रत नहीं रख पाते हैं तो सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत रखने से ही आपको सभी एकादशियों का लाभ मिल जाता है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी मनाई जाती है। निर्जला एकादशी को पांडव एकादशी या भीमसेनी एकादशी (Bhimseni Ekadashi) कहा जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन कुछ खास उपायों को करके भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को प्रसन्न किया जा सकता है। मान्यता है कि इन उपायों को करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। जानें निर्जला एकादशी के दिन किए जाने वाले उपाय-
निर्जला उपवास-
इस दिन सूर्योदय ()sunrise से लेकर द्वादशी के सूर्योदय तक जल ग्रहण करने की मनाही होती है। जिसके कारण इस एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस एकादशी व्रत को रखता है, उसे सभी एकादशियों का फल एक बार में ही मिल जाता है। भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा रहती है।
जल दान-
निर्जला एकादशी के दिन जल दान करना अति उत्तम माना जाता है। आप अपनी सामर्थ्यनुसार जल वितरण या कहीं प्याऊ भी लगवा सकते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृदोष दूर होता है।
पीपल के वृक्ष को जल-
निर्जला एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की जल में जल अर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही वृक्ष की विधिवत पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है व कर्ज से मुक्ति मिलती है।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव समान्य जानकारी के लिए हैं हम इसकी सत्यता या जांच की पुष्टि नही करते हैं।
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