नई दिल्ली। आषाढ़ माह (ashadh month) के शुक्ल पक्ष की एकादशी का बेहद खास महत्व है। आज यानि देवशयनी एकादशी पर तीन शुभ संयोग बने हैं। इस शुभ घड़ी में जहां भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की योग निद्रा शुरू होगी, वहीं शिव के हाथ सृष्टि के संचालन का जिम्मा होता है। इसी दिन से चातुर्मास (Chaturmas) का आरंभ हो रहा है।यहां तक कि देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) का दिन हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।
इस दिन के बाद से चार माह तक सभी मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से विश्राम करने के बाद भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी के दिन सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं।
देवशयनी एकादशी Devshayani Ekadashiको हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है। इस साल देवशयनी एकादशी आज यानि 10 जुलाई को है। आज के दिन तीन शुभ योग बन रहे है। रवि, शुभ व शुक्ल योग में भगवान विष्णु योग निद्रा में जाएंगे। मान्यता है कि देवशयनी एकादशी के बाद चार महीने तक सूर्य, चंद्रमा व प्रकृति का तेजस तत्व कम हो जाता है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस दिन से भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं और देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं. साल की सभी एकादशी में इन दोनों एकादशी को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए। साथ ही कुछ नियमों का पालन करना चाहिए।
चार नवंबर से शुरू होंगे मांगलिक कार्य
देवशयनी एकादशी Devshayani Ekadashi पर 10 जुलाई से गृह प्रवेश, विवाह, मुंडन, यज्ञोपवीत जैसे मांगलिक कार्यक्रम रुक जाएंगे। ठीक चार महीने बाद देवउठनी एकादशी के दिन 4 नवंबर को भगवान विष्णु शयन निद्रा से उठते हैं। मांगलिक कार्य शुरू होंगे।
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