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    आज के दिन करें सूर्यदेव के ये सरल उपाय, जीवन होगा खुशहाल

  • March 07, 2021


    आज का दिन रविवार (Sunday) है जो एक पावन दिन है और धार्मिक मान्‍यता के अनुसार आज के दिन भगवान सूर्यदेव (suryadev) की को सर्मपित है । रविवार (Sunday) के दिन सूर्यदेव (suryadev) की अराधना की जाती है । आज के दिन जो भी सच्‍ची श्रद्वा और संपूर्ण विधि विधान से सूर्यदेव की पूजा अर्चना करता है सूर्यदेव (suryadev) उसके जीवन को खुशहाल बना देतें हैं । अगर कोई भी इन समस्‍याओं से जूझ रहा हो तो उसे अपने सूर्य ग्रह को मजबूत करने की जरूरत है। आज इस लेख के माध्‍यम से हम आपको बतानें जा रहें सूर्यदेव (suryadev) के कूछ ऐसे उपाय जो आज के दिन करने से सूर्यदेव (suryadev) की कृपा पानें में मददगार साबित हो सकतें हैं । सुबह उठते ही स्नान करना है तो सूर्य दर्शन करके स्नान करें और ‘ऊं घूणि: सूर्य आदित्य:’ सूर्य मंत्र के साथ भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।

    रविवार (Sunday) को जरूर करें यह उपाय
    घर में अगर झगड़ें होते हैं तो ॐ सूर्याय नम: का मंत्र मन ही मन जाप जरूर करें।

    मान्यता है कि रविवार (Sunday) के दिन काले कुत्ते को रोटी, काली गाय को रोटी और काली चिड़िया को दाना डालने से जीवन में आ रही रुकावटें धीरे-धीरे दूर होने लगती है।


    कहा जाता है कि रविवार (Sunday) के दिन तेल से बने पदार्थ किसी गरीब व्यक्ति को खिलाने से शनि देव प्रसन्न रहते हैं।

    धन-धान्य में वृद्धि के लिए रविवार (Sunday) की रात सोते समय एक गिलास दूध अपने सिरहाने रख दें और सोमवार को सूर्योदय से पहले स्नान-ध्यान करने के पश्चात उस दूध को बबूल के पेड़ की जड़ में अर्पित कर दें। मान्यता है कि ऐसा करने से आर्थिक समस्याएं दूर होने लगती हैं।

    जैसा कि हम सभी जानते हैं कि रविवार (Sunday) का दिन सूर्यदेव (suryadev) का दिन है। इस दिन भगवान भास्कर का व्रत करने से पद-प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी तो होती ही है। इसके अलावा नेत्र और चर्म रोगों से मुक्ति भी मिलती है।

    रविवार (Sunday) को सूर्य अस्त से पहले नमक का उपयोग न करें। यह अशुभ माना जाता है।

    इस दिन किसी भी व्यक्ति को मांस व मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।

    सूर्य स्त्रोत का पाठ करना होगा शुभ :
    विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
    लोक प्रकाशकः श्री माँल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः॥लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।
    तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः॥
    गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः।
    एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः॥
    ‘विकर्तन, विवस्वान, मार्तण्ड, भास्कर, रवि, लोकप्रकाशक, श्रीमान, लोकचक्षु, महेश्वर, लोकसाक्षी, त्रिलोकेश, कर्ता, हर्त्ता, तमिस्राहा, तपन, तापन, शुचि, सप्ताश्ववाहन, गभस्तिहस्त, ब्रह्मा और सर्वदेव नमस्कृत- इस प्रकार इक्कीस नामों का यह स्तोत्र भगवान सूर्य को सदा प्रिय है।’ (ब्रह्म पुराण : 31.31-33)

    नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सामान्‍य जानकारी के लिए हैं इन्‍हें किसी प्रोफेशनल डॉक्‍टर की सलाह के रूप में न समझें । कोई भी बीमारी या परेशानी हो तो डॉक्‍टर की सलाह जरूर ले ।

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