डेस्क: हिन्दू धर्म के अनुसार पौष महीने का विशेष महत्व है, यह हिन्दू पंचांग का दसवां महीना होता है और मार्गशीष के बाद आता है. इस बार यह महीना 9 दिसंबर से 6 जनवरी तक है और यह महीना तेज एवं ऊर्जा के प्रतिक भगवान सूर्य नारायण को समर्पित है. सूर्य भगवान सनातन धर्म के पांच मुख्य देवों में से एक हैं और यह इकलौते भगवान हैं, जो हमें साक्षात रूप से आकर दर्शन देते हैं अर्थात वह प्रत्यक्ष देवता हैं.
ज्योतिष विज्ञान के मुताबिक सूर्य आत्मा, पिता एवं स्वास्थ्य का कारक माना जाता है और व्यक्ति के जीवन में सूर्य का मजबूत होना परम आवाश्यक और सुखदाई भी होता है. कुंडली में मजबूत सूर्य जातक को अपार यश, ऐश्वर्य एवं कीर्ति की प्राप्ति कराता है और यदि आपकी कुंडली में सूर्य कमज़ोर है तो आपको जीवनपर्यंत अनेकों अनेक परेशानियों से जूझना पड़ेगा.
पौष मास में भगवान सूर्य धनु राशि में गोचर होते हैं, जिसके कारण समस्त शुभ कार्य कुछ समय के लिए स्थगित हो जाते हैं. इस मास में पितरों के नाम से पिंडदान करने का भी विशेष महत्व है और ऐसा करने से पितरों को अवश्य ही बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है. वैसे तो इस पूरे महीने ही भगवान सूर्य को प्रसन्न करना चाहिए परंतु इस मास के आखिरी 5 दिनों में सूर्य देव की आराधना करने का फायदा अधिक हो जाता है यानि नव वर्ष 2023 के प्रथम 5 दिन.
बताते हैं आपको पद्म पुराण के कुछ सरल, दुर्लभ एवं अचूक उपायों के बारे में.
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